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Gyanvapi Mosque Verdict: ज्ञानवापी मस्जिद फैसले को PFI ने खूनखराबे से जोड़ा, कट्टरपंथी संगठन ने जारी किया भड़काऊ बयान

पीएफआई का नाम कई हिंसात्मक मामलों जैसे दिल्ली में हुए दंगों में भी आ चुका है। बिहार में पुलिस की रेड में ऐसे दस्तावेज बरामद हुए थे, जिनमें पीएफआई के हवाले से 2047 तक भारत को इस्लामी देश बनाने के षड्यंत्र का खुलासा हुआ था। हालांकि, संगठन इन सभी आरोपों से पल्ला झाड़ता रहा है।

नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी के जिला जज डॉ. एके विश्वेश के फैसले का मुस्लिम संगठन तो विरोध कर ही रहे हैं, कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI ने इस फैसले के बहाने भड़काऊ बयान जारी कर इसे खूनखराबे के अंदेशे से जोड़ा है। पीएफआई के चेयरमैन ओएमए सलाम की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कोर्ट ने दूरअंदेशी फैसला नहीं किया। इसमें कहा गया है कि अर्जी (हिंदू पक्ष की) को मंजूरी देकर कोर्ट ने बाबरी मस्जिद मामले के बहाने भारतीय समाज में ध्रुवीकरण और निर्दोषों की हत्या की देशभर में हुई घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया। बयान में पीएफआई चेयरमैन ने ये भी कहा कि अब वक्त आ गया है कि अन्य धर्मों के लोगों के पूजास्थलों और संपत्ति पर दावे करने के ट्रेंड को देश से खत्म किया जाए। पीएफआई का नाम कई हिंसात्मक मामलों जैसे दिल्ली में हुए दंगों में भी आ चुका है। बिहार में पुलिस की रेड में ऐसे दस्तावेज बरामद हुए थे, जिनमें पीएफआई के हवाले से 2047 तक भारत को इस्लामी देश बनाने के षड्यंत्र का खुलासा हुआ था। हालांकि, संगठन इन सभी आरोपों से पल्ला झाड़ता रहा है।

बता दें कि इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद केस के फैसले पर मुस्लिमों के संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान जारी किया था। बोर्ड के उस बयान में ‘हिंदू चरमपंथी’ शब्द तक का इस्तेमाल किया गया है। बोर्ड ने फैसले पर दुख जताते हुए कहा है कि हिंदू चरमपंथियों की अर्जी पर कोर्ट का फैसला आया है। जबकि, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली मसाजिद इंतजामिया कमेटी के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने तो ‘सब बिक गए’ कहते हुए कोर्ट तक पर तोहमत लगा दी है। सिद्दीकी ने जिला जज का फैसला आने के बाद मीडिया के सामने ये बयान बीते कल दिया था।

Varanasi Gyanvapi Case

बता दें कि 5 हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित शृंगार गौरी, हनुमानजी, गणेशजी और अन्य देवी देवताओं की पूजा करने की मंजूरी कोर्ट से मांगी थी। इस पर पहले सिविल जज सीनियर डिवीजन ने मस्जिद में कमिश्नर भेजकर सर्वे कराया था। इसके खिलाफ मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला जज को निर्देश दिया था कि वो देखें कि हिंदू पक्ष की अर्जी में पोषणीयता है या नहीं। यानी ये सुनवाई लायक है या नहीं। इसी पर जिला जज ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिंदुओं की अर्जी सुनने लायक है।