नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी आगामी 12 और 13 अगस्त को अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड जाएंगे। मोदी उपनाम मामले में राहत और संसद की सदस्यता बहाल होने के बाद यह राहुल गांधी का पहला वायनाड दौरा है। ध्यान दें कि इससे पहले जब सूरत की निचली अदालत राहुल की सदस्यता रद करने की वजह नहीं बता पाई थी, तो सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सख्ती टिप्पणी में कहा था कि राहुल की सदस्यता जाना राजनीतिक मोर्चे पर वायनाड की जनता का भी नुकसान है। ऐसे में राहुल गांधी का वायनाड दौरा कई मायनों में अहम हो जाता है। ऐसे में वो अपने दौरे के दौरान किन मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि बीते सोमवार को राहुल की संसद सदस्यता बहाल की गई थी। ध्यान दें कि राहुल की सदस्यता ऐसे वक्त में बहाल की गई है, जब संसद में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है।
Congress MP Rahul Gandhi will visit his constituency Wayanad on 12-13 August. This is his first visit after he was reinstated as Lok Sabha MP: Sources
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— ANI (@ANI) August 8, 2023
हालांकि, आज संसद में राहुल गांधी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करने वाले थे, लेकिन वो संसद नहीं पहुंचे, तो कांग्रेस की ओर से गोरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की और मणिपुर मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर निशाना साधा। वहीं, एनडीए सांसदों ने चर्चा की शुरुआत राहुल द्वारा नहीं किए जाने पर अपनी आपत्ति जताई। बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने कहा कि हम राहुल गांधी को सुनने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन वो आज संसद नहीं आए। हालांकि, राजनीतिक सूत्रों के कहना है कि यह कांग्रेस की आंतरिक रणनीति हो सकती है, जिसके तहत राहुल संसद नहीं पहुंचे।
वहीं, मोदी उपनाम प्रकरण की बात करें, तो 2019 में राहुल गांधी ने कोलार में एक जनसभा को संबोधित करने के क्रम में कहा था कि आखिर सभी मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते हैं? इस दौरान राहुल ने ललित मोदी, नीरव मोदी का जिक्र किया था, जिसके बाद बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी। ध्यान दें कि जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब किसी राजनेता को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता रद कर दी जाती है। हालांकि, उसके पास कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प रहता है, जिसे खटखटाकर अगर वो चाहे तो संसद की सदस्यता बहाल करवा सकता है।