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UP: सियासी कनेक्शन न होने का राकेश टिकैत का दावा साबित हुआ झूठा, सपा-आरएलडी से रिश्ता ऐसे हुआ उजागर

किसानों के नाम पर आंदोलन चलाने वाले भारतीय किसान यूनियन BKU के नेता राकेश टिकैत का सियासी कनेक्शन उजागर हो गया है। राकेश टिकैत लगातार कहते रहे हैं कि उनका किसी सियासी दल से गठजोड़ नहीं है, लेकिन यूपी के मेरठ में ऐसी चीज सामने आ गई है, जिससे राकेश टिकैत का दावा झूठा साबित हो रहा है।

मेरठ। किसानों के नाम पर आंदोलन चलाने वाले भारतीय किसान यूनियन BKU के नेता राकेश टिकैत का सियासी कनेक्शन उजागर हो गया है। राकेश टिकैत लगातार कहते रहे हैं कि उनका किसी सियासी दल से गठजोड़ नहीं है, लेकिन यूपी के मेरठ में ऐसी चीज सामने आ गई है, जिससे राकेश टिकैत का दावा झूठा साबित हो रहा है। मेरठ में राष्ट्रीय राजमार्ग 58 यानी दिल्ली को जाने वाली सड़क पर कई जगह होर्डिंग लगे हैं। इन बैनर में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी के चीफ जयंत चौधरी की फोटो के साथ बीच में तिरंगा लिए राकेश टिकैत की फोटो छपी है। होर्डिंग में लिखा है, “हार गया अभिमान, जीत गया किसान”। इसके अलावा ये भी लिखा है, “सब याद रखा जाएगा”। होर्डिंग में सपा और आरएलडी के स्थानीय नेताओं की भी तस्वीरें लगी हैं।

Rakesh Tikait

राकेश टिकैत का सियासी कनेक्शन इससे पहले इस साल मई में पश्चिम बंगाल में उजागर हुआ था। राकेश टिकैत वहां ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के पक्ष में रैली करने गए थे। टीएमसी के नेता भी उनके मंच पर मौजूद थे। राकेश टिकैत ने उस वक्त बयान दिया था कि केंद्र सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है और इसी वजह से वो बीजेपी के खिलाफ लोगों को अपनी बात बताने आए हैं। अब मेरठ में हाइवे पर लगे नए होर्डिंग के बारे में राकेश टिकैत की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सवाल ये है कि अगर टिकैत का सपा और आरएलडी से कोई कनेक्शन नहीं है, तो इन पार्टियों ने बिना उनसे पूछे आखिर कैसे अपनी होर्डिंग में उनकी तस्वीर का इस्तेमाल कर लिया।

rakesh tikait

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने मंगलवार को ही टिकैत का नाम लिए बिना कहा था कि अगर कोई किसान नेता राजनीति करना चाहता है या विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे संयुक्त किसान मोर्चा से अलग हटकर ये कदम उठाना होगा। इससे पहले मोर्चा के नेता दर्शनपाल सिंह ने बाकायदा राकेश टिकैत का नाम लेते हुए कहा था कि उन्हें सोच-समझकर बयान देना चाहिए। दरअसल, किसान आंदोलन के दौरान मोर्चा की ओर से दिए जाने वाले बयानों से ठीक उलट राकेश टिकैत का बयान आता था। इसी वजह से दर्शनपाल ने उन्हें नसीहत दी थी।