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Bengal Riot: बंगाल हिंसा पर चिंतित है संघ, उसकी चिंता का ये है सबसे बड़ा कारण!

Violence in West Bengal: इस पूरे मामले में केंद्र सरकार से संघ ने निवेदन किया है कि वह बंगाल में शान्ति क़ायम करने के लिए जो भी आवश्यक कदम हो उठाए जाएं, इसके अलावा यह भी तय हो कि राज्य सरकार भी इसी दिशा में कार्रवाई करे।

नई दिल्ली। अक्सर देखा गया है कि, देश का सबसे चर्चित स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) चुनावी चर्चाओं से काफी दूर रहता है। लेकिन पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के आने के बाद हुई हिंसा पर RSS ने अपनी चिंता व्यक्त की है। आपको बता दें कि 2 मई को विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हुए थे, जिसके बाद से राज्य में हिंसा का दौर जारी हुआ। इसके पांच दिन बाद, यानी 7 मई को संघ की तरफ से एक आधिकरिक वक्तव्य जारी किया गया। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले ने कहा कि, ‘चुनाव परिणाम के तुरंत बाद उन्मुक्त होकर जिस तरह से अनियंत्रित तरीके से पूरे बंगाल में हिंसा हुई वो न केवल निंदनीय है, बल्कि पूर्व नियोजित भी है। समाज-विघातक शक्तियों ने महिलाओं के साथ घृणास्पद बर्बर व्यवहार किया गया।”

Bengal violence pic

उन्होंने कहा कि, “इस हिंसा में निर्दोष लोगों को क्रूरतापूर्ण मारा गया। उनके घरों को जलाया गया। हिंसक लोगों ने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों-दुकानों को लूटा एवं हिंसा के फलस्वरूप अनुसूचित जाति-जनजाति समाज के बंधुओं सहित हज़ारों लोग अपने घरों से बेघर होकर प्राण-मान रक्षा के लिए खुद को सुरक्षित करने के लिए दूसरे स्थानों पर शरण के लिए मजबूर हुए हैं। कूच-बिहार से लेकर सुंदरबन तक सर्वत्र जन सामान्य में भय का वातावरण बना हुआ है।”

अमूमन राजनीतिक मुद्दों पर कोई बयान न देने वाला संघ बंगाल की राजनीतिक हिंसा पर बयान देकर सबका ध्यान आकर्षित कर चुका है। माना जा रहा है कि, जिस तरह से भारतीय लोकत्रंत में चुनावी हिंसा बंगाल में हुई, उसे देखते हुए संघ को विचारों में सोच बंगाल को लेकर सोच बन रही है। संघ बंगाल को लेकर चिंतित है। वहां की स्थिति को लेकर चिंतित है। संघ कहता आया है कि, लोकतंत्र में राजनीतिक विरोध होने चाहिए, लेकिन उसका स्वरूप इस तरीके का नहीं होना चाहिए। राजनीति के नाम पर हिंसा कतई नहीं होनी चाहिए। हिंसा को लेकर चिंतित संघ का कहना है कि, हमें हर हालत में यह याद रखना होगा कि सभी दल अपने ही इसी देश हैं और चुनावों की प्रक्रिया में भाग लेने वाले प्रत्याशी, समर्थक, वोटर्स भी अपने ही देश के नागरिक हैं।’

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संघ की चिंता का जो दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है कि, वो यह है कि, संघ को बंगाल को लेकर अपने स्वयंसेवकों जो जमीनी स्तर पर जानकारी मिली है कि, उसके मुताबिक पश्चिम बंगाल में जो कुछ भी हुआ वह विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित नहीं था, बल्कि इस हिंसा में जेहादी मानसिकता की भी एक बड़ी भूमिका थी। इसको लेकर संघ के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि, यह केवल दो पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष नहीं था बल्कि पूरी योजना के साथ हिंदुओं के मनोबल को तोड़ने के प्रयासों की ओर भी संकेत देता है।

संघ ने इस मामले में राज्य की पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं। संघ का मानना है कि, चुनाव नतीजों के बाद हिंसा का दौर जारी रहा लेकिन राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हालत ऐसी रही कि, हिंसा के बीच दंगाइयों को न ही कोई डर था और ना ही शासन-प्रशासन की ओर से नियंत्रण की कोई प्रभावी पहल दिखाई दे रही है। सब खुलेआम हो रहा था।

बता दें कि इस पूरे मामले में केंद्र सरकार से संघ ने निवेदन किया है कि वह बंगाल में शान्ति क़ायम करने के लिए जो भी आवश्यक कदम हो उठाए जाएं, इसके अलावा यह भी तय हो कि राज्य सरकार भी इसी दिशा में कार्रवाई करे। बता दें कि संघ की चिंता का एक बड़ा कारण भारतीय लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा है। संघ का मानना है कि, बंगाल हुई हिंसा लोकतंत्र के लिए कतई ठीक नहीं है। सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि किसी भी राज्य में होने वाली चुनावी हिंसा को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

dattatreya hosabale

बंगाल हिंसा पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले ने अपने आग्रह में कहा है कि, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज के सभी प्रबुद्ध जनों, सामाजिक-धार्मिक-राजनैतिक नेतृत्व का भी आह्वान करता है कि इस संकट की घड़ी में सभी पीड़ित परिवारों के साथ वे खड़े होकर एक विश्वास का वातावरण बनाएं, हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करें और समाज में सद्भाव और शांति व भाईचारे का वातावरण खड़ा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायें।’