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Rajasthan: सचिन के भांजे ने राहुल समेत विपक्षी दलों के नेताओं को बताया शैतान, तो PM मोदी को कहा चट्टान, क्या पायलट की भी है सहमति?

आप यह भी जान लीजिए पायलट ने बीते दिनों गहलोत नेतृत्व के खिलाफ अनशन भी किया था। लेकिन, दावा किया जा रहा है कि गहलोत नेतृत्व पर इस अनशन का कोई असर नहीं पड़ा है। उधर, बीते दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं में बाजार गुलजार हो चुका है।

नई दिल्ली। राजस्थान में जारी सियासी भूचाल आगामी लोकसभा चुनाव की रूपरेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभा सकती है। जिस तरह से कांग्रेस नेता व राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है, उसे लेकर दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की भी नींद उड़ चुकी है। गत दिनों पायलट ने गहलोत के खिलाफ अनशन भी किया था, लेकिन सियासी गलियारों में दावा किया जा रहा है कि इस अनशन का गहलोत सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। उधर, अब पायलट के साथ-साथ उनके भांजे अनिरुद्ध सिंह ने भी राजस्थान सरकार के साथ-साथ शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।

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आपको बता दें कि सचिन पायलट के भांजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चट्टान बताया है, तो वहीं राहुल गांधी समेत विपक्षी एकता में शामिल नेताओं को शैतान की संज्ञा दी है। अब ऐसे में सियासी गलियारों में यह सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि क्या सचिन पायलट की भी इसमें सहमति है? ध्यान रहे कि उन्होंने राहुल गांधी की विपक्षी एकता वाली तस्वीर को साझा कर कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस एक परिवारवादी पार्टी है, जो कि देश के हित के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवार के हित के लिए काम करती है। बहरहाल, पायलट के भांजे के इस ट्वीट के बाद राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ चुका है, लेकिन अभी तक पायलट की इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अब देखना होगा कि इस पर पायलट की क्या प्रतिक्रिया रहती है।

उधर, आप यह भी जान लीजिए पायलट ने बीते दिनों गहलोत नेतृत्व के खिलाफ अनशन भी किया था। लेकिन, दावा किया जा रहा है कि गहलोत नेतृत्व पर इस अनशन का कोई असर नहीं पड़ा है। उधर, बीते दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। बीते बुधवार को राहुल ने कहा था कि यह विचाराधारा की लड़ाई है, जिसमें सभी दलों को केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एक साथ आना होगा।

लेकिन, आपको बता दें कि इस विपक्षी एकता से दिल्ली के सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने दूरी बनाए रखी थी। उधर, विपक्षी की नौका पर सवार किसी भी नेता ने यह कहने से गुरेज किया कि आखिर आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा। जिसे लेकर कई मौकों पर बीजेपी की ओर से भी तंज कसा जा चुका है।

जहां एक तरफ कांग्रेस की ओर से राहुल को बतौर पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करने की कोशिश की जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ से बिहार से नीतीश कुमार पीएम पद की उम्मीदवारी का ख्वाब पाले हुए हैं। बता दें कि बीते दिनों बिहार की राजनीति में जब बवडंर आया था, तो जदयू खेमे के नेताओं ने नीतीश को पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट किया था, जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि मोदी को हराने के लिए अगर सभी विपक्षी एक छत के तले आ भी जाते हैं, तो विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा? यह अपने आप में बड़ा सवाल है।