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बिहार : गोपालगंज में बह गया एक और पुल, 500-600 गांवों पर छाया बाढ़ का खतरा

कोरोना संकट के बीच बिहार में भारी बारिश से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। भारी बारिश से पहले सत्तरघाट पुल टूटा वहीं अब गोपालगंज में गंडक नदी पर बने एक और महासेतु पुल के एप्रोच रोड में दरार आ गई है।

गोपालगंज। कोरोना संकट के बीच बिहार में भारी बारिश से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। भारी बारिश से पहले सत्तरघाट पुल टूटा वहीं अब गोपालगंज में गंडक नदी पर बने एक और महासेतु पुल के एप्रोच रोड में दरार आ गई है। इस पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था।

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महासेतु पुल का निर्माण भी सत्तरघाट पुल बनाने वाली वशिष्टा कंपनी ने ही किया था। इस महासेतु के ध्वस्त होने से चंपारण तिरहुत और सारण के कई जिलों का संपर्क टूट गया है। इस पुल पर आवागमन पूरी तरह बाधित है। बरौली के देवापुर में सारण प्रमुख बांध के अलावा मांझागढ़ प्रखंड के पुरैना में भी सारण बांध टूट गया है।

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इसके कारण गंडक नदी का तेज बहाव एनएच-28 की तरफ बढ़ रहा है। जिला प्रशासन की तरफ से बांध के किनारे बसे गांवों के लोगों को अलर्ट करने का काम किया जा रहा है। बांध टूटने से एनएच 28 पर बड़े वाहनों का परिचालन ठप हो गया है। बांध टूटने से गोपालगंज का बरौली, मांझागढ़, सिधवलिया और बैकुंठपुर प्रखंड के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है। इन प्रखंडों में बसे करीब 500 से 600 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

जिस समय यह बांध टूटा उस वक्त गंडक में लगभग 4 लाख क्यूसेक पानी का बहाव था। बांध टूटने के बाद लोग अपने मवेशियों को लेकर ऊंचे स्थानों की तरफ जाने लगे हैं। एक तरफ आसमान से लगातार बारिश हो रही है दूसरी तरफ पानी के तेज बहाव ने लोगों के लिए दोगुनी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

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गोपालगंज के इन चार प्रखंडों के अलावा सीवान और छपरा के इलाकों के भी बाढ़ से प्रभावित होने की संभावना है। बिहार में नदियों के बढ़ते जलस्तर की वजह से पांच लाख लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। राज्य के 10 जिलों की स्थिति खराब हो गई है। सभी जिलों की बात करें तो 245 पंचायतों में तबाही का मंजर देखा जा सकता है।