नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने से इनकार कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। अदातल ने केंद्र सरकार से कहा कि वह लागू प्रतिबंधों की निरंतरता से जुड़ी शिकायतों की जांच के लिए गृह सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करे।
न्यायमूर्ति एन.वी.रमना, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में प्रतिबंधों को जारी रखने की जरूरत पर तत्काल निर्णय लेने और मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सचिवों की एक विशेष समिति का गठन करना उचित रहेगा, जिसमें गृह मंत्रालय के सचिव, संचार विभाग के सचिव और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के मुख्य सचिव शामिल हों।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेष समिति को निर्देश दिया जाता है कि वह 4 जी इंटरनेट सेवाओं की बहाली पर याचिकाकर्ताओं द्वारा बताई गई बातों और हाई स्पीड इंटरनेट का विरोध करने वाले केंद्र सरकार की जानकारियों की जांच करे।
4G restoration in J&K matter in Supreme Court: The high-powered committee headed by Secretary MHA to include Secretary, Ministry of Communications and Chief Secretary Jammu & Kashmir
— ANI (@ANI) May 11, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उक्त समिति को चाहिए कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा सुझाए गए विकल्पों की उपयुक्तता की भी जांच करे।” याचिका में कहा गया है कि आवश्यक स्थानों पर प्रतिबंधों को सीमित किया जाए और परीक्षण के आधार पर कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में तेज इंटरनेट (3 जी या 4 जी) की अनुमति प्रदान की जाए। पीठ ने कहा कि आवश्यकता से अधिक प्रतिबंध लागू नहीं होने चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा, “वर्तमान आदेश (केंद्र शासित प्रदेश में प्रतिबंधों के बारे में) से संकेत मिलता है कि उन्हें सीमित समय के लिए पारित किया गया है और इस आदेश का यह अर्थ नहीं है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के सभी जिलों में इस प्रकार के कड़े प्रतिबंधों की जरूरत है।”
हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे का हवाला देते हुए कहा, “एक ही समय में हम यह भी स्वीकार करते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर आतंकवाद से ग्रस्त है और इस बात को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।”
केंद्र ने अदालत से कहा कि राष्ट्रीय अखंडता का मुद्दा, घुसपैठ, विदेशी प्रभाव, हिंसक अतिवाद जैसे मामले केंद्र शासित प्रदेश में लगातार सामने आते हैं और ये सभी गंभीर मुद्दे हैं। मीडिया और अन्य लोगों की तरफ से दायर याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच जम्मू एवं कश्मीर के निवासियों पर लगाए गए प्रतिबंध उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों को प्रभावित करते हैं।