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Scam: उद्धव की सांसद ने 55 करोड़ का किया महाघोटाला, खुद की चीनी मिल खुद को ही बेच दी

किरीट सोमैया ने आरोप लगाया था कि भावना ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से 100 करोड़ लेकर इस धन का गलत इस्तेमाल किया। किरीट ने आरोप लगाया था कि शिवसेना सांसद ने 55 करोड़ की चीनी मिल सस्ते में खरीद ली। इस मिल का नाम श्री बालाजी सहकारी पार्टिकल कारखाना लिमिटेड है।

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना की 5 बार की सांसद भावना गवली ने महाघोटाला किया है। उन्होंने सहकारी क्षेत्र की अपनी चीनी मिल को पहले दिवालिया घोषित करवाया। फिर उस मिल को अपनी ही निजी कंपनी से खरीदवा लिया। जिस बोर्ड ने ये सौदा कराया, उसकी अध्यक्ष भी गवली खुद थीं। जिस बैंक ने इसके लिए फंड दिया, वो बैंक भी भावना गवली का ही है। ये खुलास प्रवर्तन निदेशालय ED के आरोप पत्र से हुआ है। पूरा घोटाला ऐसे किया गया कि किसी को शक न हो। यहां तक कि मामले की एफआईआर भी भावना गवली ने खुद कराई। महा घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब अगस्त 2021 में ईडी ने भावना के 5 ठिकानों पर छापे मारे। छापे, बीजेपी के नेता किरीट सोमैया के आरोपों के बाद मारे गए थे।

kirit somaiya

किरीट सोमैया ने आरोप लगाया था कि भावना ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से 100 करोड़ लेकर इस धन का गलत इस्तेमाल किया। किरीट ने आरोप लगाया था कि शिवसेना सांसद ने 55 करोड़ की चीनी मिल सस्ते में खरीद ली। इस मिल का नाम श्री बालाजी सहकारी पार्टिकल कारखाना लिमिटेड है। भावना के पिता पुंडलीकराव गवली ने 1992 में चीनी मिल बनाई थी। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय सहकार महामंडल से 29 करोड़ और महाराष्ट्र की तत्कालीन सरकार से 14 करोड़ रुपए अनुदान भी लिए थे। सोमैया के मुताबिक भावना गवली ने कंपनी के लिए 11 करोड़ रुपए एसबीआई से लिए। 55 करोड़ जुटाए गए और फिर मिल को दिवालिया घोषित करा दिया गया।

अखबारों में मिल बेचने के लिए विज्ञापन दिया गया, लेकिन बोली लगाने का मौका भावना एग्रो प्रोडक्ट एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को मिला। 55 करोड़ की चीनी मिल महज 7 करोड़ 9 लाख में बिक गई। मिल की 35 एकड़ जमीन भी भावना के एक ट्रस्ट महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान को सिर्फ 8 लाख में बेची गई। ईडी की चार्जशीट कहती है कि इस ट्रस्ट को भी बाद में निजी कंपनी में बदल दिया गया और भावना ने इसमें अपनी मां और सईद खान नाम के सहयोगी को शामिल किया। भावना ने जब खुद इस मामले में एफआईआर कराई, तो कहा कि महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान के निजी कंपनी में बदलने से पहले एक कर्मचारी ने 18 करोड़ का घोटाला किया। यहीं से पूरे मामले की कड़ियां एक एक कर खुलने लगीं।