नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की आड़ में राजधानी दिल्ली को दंगों की आग में झुलसाने वाला मास्टरमाइंड शरलीज इमाम के दिन आजकल सलाखों में कट रहे हैं। सलाखों से बाहर निकलने के लिए शरजील अभी कुछ ऐसा ही कर रहा है, जैसे मछली बिन पानी के करती है, लेकिन शरजील को सलाखों की जंजीरों से मुक्ति नहीं मिल पाई है। अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिर उसे कब तक रिहाई मिल पाती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन उससे पहले उसके नापाक करतूतों का पटाक्षेप करने वाला दिल्ली पुलिस का आरोपपत्र सामने आया है। जिससे वाकिफ होने के बाद आपकी रूह कांप जाएगी। आइए, जानते हैं कि आखिर पुलिस आरोपपत्र में क्या कहा गया है। पुलिस आरोपपत्र के मुताबिक, शरजील इमाम ने सीएए आंदोलन की आड़ में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विधार्थियों को भड़काया था। शरजील इमाम ने अपने साथी आसिफ मुजतफा, शेरजिल उस्मानी और एमएजे के अन्य सदस्यों ने जामिया के विधार्थियों को सीएए के नाम पर भड़काया था। जिसके परिणामस्वरूप न्यू फ्रैड्स कॉलोनी सहित राजधानी के कई इलाकों में हिंसात्मक स्थिति देखने को मिली है। पुलिस आरोपपत्र के मुताबिक, उमर खालिद और नदीम ने भी जामिया के विधार्थियों को कथित तौर पर भड़काया था। इस बात की जानकारी उनके मोबाइल फोन के जरिए प्राप्त हुई है।
बता दें कि शरजील इमाम और सहयोगियों की साजिश के परिणामस्वरूप जामिया मिल्लिया और न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी में सीएए कानून के खिलाफ छात्रों के आक्रोश के परिणामस्वरूप दंगा देखने को मिला था। इस संदर्भ में बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने उपरोक्त प्रकरण में केस भी दर्ज किया था। दूसरी घटना में सराय जुलेन मार्ग पर दोपहर करीब 3:30 बजे एक उग्र भीड़, जिसमें यूनिवर्सिटी कई छात्र समेत राजनीतिक दलों के सदस्य भी शामिल थे। सीएए के विरोध में ये रैली संसद भवन की ओर मार्च कर रही थी। इस बीच इन्हें पुलिस द्वारा रोका गया, लेकिन उग्र प्रदर्शनकारी पुलिस द्वारा रोकने के बावजूद भी नहीं माने।
इतना ही नहीं, उग्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी हमला करने से गुरेज नहीं किया। आप प्रदर्शनकारियों के हिंसक रवैये का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि इन्होंने हिंसक प्रदर्शनकारियों ने तीन डीटीसी को भी आग के हवाले कर दिया और इसके अलावा कई सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। इतना ही नहीं, पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों से अपील की गई कि अगर आप इस कानून पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहते हैं, तो अहिंसा का रास्ता अपनाए ना कि हिंसा का, लेकिन बेमानी देखिए कि पुलिस द्वारा बार-बार कहने के बावजूद भी हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देने से किसी भी प्रकार का गुरेज नहीं किया गया।
इसके अलावा अगर शरजील इमाम के बारे में बात करें, तो कड्कडूमा कोर्ट ने विगत 23 जुलाई को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उस पर आरोप है कि उसने बीते दिनों शैक्षाणिक संस्थानों में दिए अपने भाषण में देशविरोधी मुद्दे को हवा देने की कोशिश की थी। बता दें कि शरजील इमाम पर यूएपीए के तहत भी केस दर्ज किया जा चुका है। फिलहाल, शरजील इमाम का पूरा मसला कोर्ट में विचाराधीन है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम