नई दिल्ली। उद्धव गुट के शिवसेना नेता व राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिंदे सरकार को लेकर एक ऐसा दावा कर दिया है, जिसके बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है। दरअसल, राउत ने अपने बयान में कह दिया है कि आने वाले 15-20 दिनों में शिंदे सरकार गिर जाएगी। हालांकि, यह नहीं बताया है कि आखिर उन्होंने किस आधार पर यह दावा किया है, लेकिन उनके इस दावे के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक चर्चाएं तेज हो चुकी हैं। राउत ने आगे कहा कि शिंदे सरकार का डेथ वारंट जारी हो चुका है। सिर्फ आधिकारिक ऐलान करना बाकी है। उन्होंने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि फरवरी में शिंदे सरकार गिर जाएगी, लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट का फैसला लाइफलाइन बन गया था। अब ऐसे में देखना होगा कि आगामी दिनों में शिंदे का यह दावा कितना सार्थक साबित हो पाता है।
बता दें कि लंबे हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद महाराष्ट्र में शिंदे की सरकार बनी है। शिंदे पहले कभी उद्धव ठाकरे के करीबी और विश्वासपात्र नेताओं में एक हुआ करते थे। शिंदे खुद बालासाहेब ठाकरे को अपना आदर्श मानते हैं, लेकिन शिंदे के मुताबिक, जिस तरह से महज सत्ता सुख के लिए उद्धव ठाकरे ने अपनी हिंदुत्ववादी विचारधाराओं से समझौता किया, उससे ना महज वो, बल्कि अन्य शिवसैनिक की भावनाओं को भी आहत पहंचा, जिसकी वजह से बीते दिनों कई शिवसैनिकों ने शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी के साथ मिलकर अपनी सरकार का गठन किया है। जिसका नतीजा यह हुआ कि उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम की।
वहीं, महाराष्ट्र में सरकार तो बन गई, लेकिन अब लड़ाई शिवसेना पर मालिकाना हक जताने को लेकर शुरू हो गई। जहां एक तरफ उद्धव ठाकरे और उनके गुट के नेता खुद को असली शिवसैनिक बता रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुटे के विधायक दावा कर रहे थे कि वो असली शिवसैनिक हैं, क्योंकि वे बालासाहेब के असली शिष्य हैं। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जहां से उद्धव ठाकरे जोरदार झटका लगा। दरअसल, कोर्ट ने शिंदे गुट नेताओं को असली शिवसैनिक करार दिया। वहीं, पार्टी का चुनाव चिन्ह भी शिंदे गुट की झोली में ही गया। हालांकि, मामला अभी-भी कोर्ट में विचाराधीन है।
अब ऐसे में आगामी दिनों में पूरे प्रकरण को लेकर कोर्ट का क्या फैसला रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। ध्यान रहे कि गत विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से अपने सियासी राह जुदा करते हुए अपने राजनीतिक विचारधाराओं की तिलांजलि देते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।