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Pegasus Snooping: अब तक जारी लिस्ट में हर नाम के साथ लिखा है कुछ ऐसा, इन वजहों से भी हो रहा हैकिंग के दावों पर शक

Pegasus Snooping: शक की दूसरी वजह है राहुल गांधी का नाम। नजरदारी किए जाने का दावा करने वालों के मुताबिक राहुल गांधी का फोन भी संभावित तौर पर हैक किया गया, लेकिन इससे जुड़ी खबर में खास बात ये भी लिखी है कि राहुल के फोन मे पेगासस है या नहीं, इसकी जांच की नहीं जा सकी क्योंकि उनका फोन जांच के लिए मिला ही नहीं।

नई दिल्ली। बीते दो दिन से इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस की जमकर चर्चा हो रही है। राहुल गांधी से लेकर तमाम बड़े नेताओं, 40 पत्रकारों और एक पूर्व नौकरशाह का नाम जारी हुआ है। दुनियाभर के 14 मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि पेगासस से इनके फोन की नजरदारी की गई, लेकिन इन सभी नामों के साथ अंग्रेजी का ऐसा शब्द लिखा गया है जिससे इनके दावे पर शक हो रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं, शक की और वजहें भी हैं कि आखिरकार मीडिया संस्थानों का दावा गलत क्यों लग रहा है। रविवार को मीडिया संस्थानों के समूह ने भारत के 40 पत्रकारों के नाम जारी किए। सोमवार को उन्होंने राहुल गांधी, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, पोल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर और यहां तक कि आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के फोन भी टैप किए जाने का दावा किया। इस दावे को लेकर सियासत भी गर्माई है, लेकिन अगर जारी लिस्ट के नामों को देखें, तो मीडिया संस्थानों ने हर नाम के साथ POTENTIAL शब्द लिखा है।

prashant kishor and rahul Gandhi

POTENTIAL शब्द का मतलब होता है ‘संभावित’। इसी एक शब्द की वजह से पेगासस को लेकर हो रहे दावों पर शक होता है। संभावित का मतलब है कि इनके फोन की नजरदारी हो सकता है की गई हो। जब सबकुछ संभावित है, तो फिर ये दावा किस तरह किया जा रहा है कि पेगासस की मदद से इनके फोन की नजरदारी की ही गई ?

Pegasus spyware

शक की दूसरी वजह है राहुल गांधी का नाम। नजरदारी किए जाने का दावा करने वालों के मुताबिक राहुल गांधी का फोन भी संभावित तौर पर हैक किया गया, लेकिन इससे जुड़ी खबर में खास बात ये भी लिखी है कि राहुल के फोन मे पेगासस है या नहीं, इसकी जांच की नहीं जा सकी क्योंकि उनका फोन जांच के लिए मिला ही नहीं। जब फोन की जांच हो नहीं सकी, तो पता कैसे चल गया कि राहुल गांधी का फोन भी पेगासस ने हैक किया।
अब नजरदारी किए जाने के दावों पर शक की तीसरी वजह की बात करते हैं। लिस्ट जारी करने वाले मीडिया संस्थानों के मुताबिक अंतरराष्ट्री संस्था ‘एमनेस्टी’ के लैब से सबके फोन की जांच की गई। एमनेस्टी को मोदी सरकार ने विदेशी मुद्रा नियमन कानून यानी FEMA के उल्लंघन के मामले में भारत में कामकाज करने से रोक दिया है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या सरकार की इसी कार्रवाई की वजह से साजिश के तहत पेगासस से नजरदारी का पूरा मामला खड़ा किया गया?

ashwini-vaishnaw

इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं। संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले से नजरदारी संबंधी खबरों को उन्होंने पूरी तरह गलत बताते हुए इस देश के लोकतंत्र और मोदी सरकार को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है। मोदी के इन दोनों कद्दावर मंत्रियों ने टाइमिंग को लेकर जो सवाल खड़े किए हैं, उससे भी नजरदारी का दावा करने वाले मीडिया संस्थानों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।