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Supreme Court: कल टिकी रहेंगी SC पर पूरे देश की निगाहें, कोर्ट करेगा CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई

Supreme Court: गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर साल 2020 में दिल्ली सहित देश के अन्य भूभागों में हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। दरअसल, विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों को अपनी नागरिकता छिने जाने का डर था। हालांकि, केंद्र की ओर से स्पष्ट किया जा चुका था कि उक्त कानुन के लागू होने के बाद किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी।

नई दिल्ली। नवरात्रि सहित दीवाली के अवकास के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की प्रक्रियाओं की शुरुआत करने जा रहा है। खबर है कि कल (सोमवार) कोर्ट विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। उक्त कानून को चुनौती देने के लिए 234 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिस पर सुनवाई की जाएगी। बता दें कि मुस्लिम लीग, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पीस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, गैर-सरकारी संगठन ‘रिहाई मंच’, अधिवक्ता एमएल शर्मा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी सहित कानून के कई छात्रों ने उक्त विवादास्पद कानून को चुनौती देने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। ध्यान रहे कि इससे पूर्व साल 2020 में शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया था कि केंद्र की प्रतिक्रिया व सुझावों को जाने बिना उक्त विवादास्पद कानून पर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है।

CAA के मुद्दे पर 232 याचिकाओं की कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर साल 2020 में दिल्ली सहित देश के अन्य भूभागों में हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। दरअसल, विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों को अपनी नागरिकता छिने जाने का डर था। हालांकि, केंद्र की ओर से स्पष्ट किया जा चुका था कि उक्त कानुन के लागू होने के बाद किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी, लेकिन इसके बावजूद लोग आश्वस्त नहीं हुए, लिहाजा विरोध प्रदर्शन के नाम पर जिस तरह उन दिनों हिंसात्मक स्थिति देखने को मिली थी, उसे पूरे देश ने देखा था। हालांकि, इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसात्मक गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने में किसी भी प्रकार का गुरेज नहीं किया था।

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हालांकि, इस बीच कई लोग ऐसे भी रहे जिन्होंने शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करके लोकतंत्र की आत्मा को जिंदा रखने का काम किया था, लेकिन जिन लोगों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया था। बाद में ऐसे लोगों के खिलाफ सराकर का कड़ा रुख देखने को मिला। बता दें कि भारी विरोध के बावजूद भी नागरिकता संशोधन कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया था, जिस पर आपत्ति जताते हुए अब कई लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अब ऐसी स्थिति में कोर्ट का क्या फैसला रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।