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Farm Law: कांग्रेस पर भड़का लोगों का गुस्सा, कृषि कानूनों को लेकर कर रही थी ऐसी मांग

Congress leader: उन्होंने एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मांग की कि तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाए और इन सियासी सूरमाओं ने इस कानून को काला कानून कानून भी करार दिया। हाथों में थामे पोस्टर और चेहरे पर गरजता का रोष के बादल ये बयां कर रहे हैं कि ये तीनों कृषि कानूनों को वापस करवाने के लिए कितने बेताब हैं।

नई दिल्ली। सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी…सोनिया गांधी से लेकर प्रियंका गांधी…प्रियंका गांधी से लेकर रणदीप सुरजेवाला…मतलब…जिसको देखिए उसने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है…आप खोलिए मोर्चा…बिल्कुल खोलिए…हम खुद कहते हैं खोलिए…एक स्वस्थ्य लोकतंत्र में विपक्ष का स्वस्थ्य होना अपिहार्य है और इस अपिहार्यता की देश की जनता प्रशंसा करती है। लेकिन वक्त-बेवक्त…सबब-बेसबब…किसी भी उलजुलूल मसलों को उछालकर केंद्र सरकार के खिलाफ अगर मोर्चा खोला जाएगा, तो देश के कलमकारों की जमात फिर आपकी मुखालफत करने पर मजबूर हो जाएगी। मजबूर हो जाएगा देश के कलमकारों का कुनबा आपके विरोध में कलम चलाने पर। क्योंकि मसलों की सरोकारता चाहे सरकार से जुड़ी हो या विपक्षी दलों से। हम हर मसलों को लेकर जनता तक पहुंचाने में विश्वास रखते हैं और इसी कड़ी में हम अपने पाठकों बताने जा रहे हैं कि कैसे कांग्रेस के तमाम सियासी सूरमा। जिसमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत पार्टी के तमाम बड़े सियासी सूरमा अपनी नुमाइंदी दर्ज कराते दिख रहे हैं।

उन्होंने एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मांग की कि तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाए और इन सियासी सूरमाओं ने इस कानून को काला कानून कानून भी करार दिया। हाथों में थामे पोस्टर और चेहरे पर गरजता का रोष के बादल ये बयां कर रहे हैं कि ये तीनों कृषि कानूनों को वापस करवाने के लिए कितने बेताब हैं। लेकिन कोई इन्हें ये जाकर बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नाम अपने संबोधन में पहले ही तीनों कृषि कानूनों का ऐलान कर चुके हैं। अब इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पहली बार देश में आंदोलन हुए हैं। इससे पहले भी कई मर्तबा आंदोलन हुए हैं। कई मसलों को लेकर देश की जनता सड़कों पर उतरी है। लेकिन सरकार ने हमेशा ही देशहित को ही सर्वोपरि माना  है। लेकिन किसानों के मसले में सरकार ने अपने हठ को परे रखकर उनकी मांगों को आगे घुटने टेकना मुनासिब समझा था, तो इसका मतलब ये नहीं है कि हर मर्तबा उलजुलूल मसलों को उठाकर सरकार के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया जाए। अब इसी कांग्रेस की इस हरकत के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क रहा है। आइए, हम आपको आगे लोगों के कुछ ऐसे रोषपूर्ण बयानों से रूबरू कराते हैं।

…तो जैसा कि आपने ऊपर लगाए गए ट्वीट्स में देख ही लिया होगा कि कैसे कांग्रेस की शैली पर लोग अपने रोष का इजहार कर रहे हैं। यकीनन, कांग्रेस की इस कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है कि जब केंद्र सरकार आंदोलनकारी किसानों से यह वादा कर चुकी है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जा  चुका और अब से संसद की आगामी शीतकालीन सत्र में  वापस लेने की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दें दिया जाए। तो फिर ऐसी स्थिति में संसद परिसर के बाहर अपने नेताओं संग फिर से पोस्टर लेकर तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग करने का क्यां औचित्य बनता है। क्या कांग्रेस के सियासी सूरमा इस मसले पर अपना पक्ष रखेंगे या फिर उत्तर प्रदेश समेत 8 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव इसे रह अपने उलजुलूल बयानों से सियासी तपिश बढ़ाते रहेंगे। यह तो फिलहाल अब यह बता सकते हैं।