नई दिल्ली। अपराधी कितना भी दुर्दांत क्यों ना हो, लेकिन उसकी पुलिस अभिरक्षा में मौत हो जाए, तो पुलिस-प्रशासन और सरकार का सवालियां कठघरे में खड़ा होना लाजिमी है। अभी कुछ ऐसे ही सवालिया कठघरे में खड़े नजर आ रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। बीते शनिवार को जिस तरह से भारी पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच अतीक और अशरफ को तीन बंदूकधारी युवकों ने मौत के घाट उतार दिया, उसके बाद से लगातार पुलिस की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हालांकि, ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद तीनों आरोपियों ने पुलिस को सरेंडर कर दिया था, लेकिन सिर्फ उनके सरेंडर कर देने से भर से सवालों की बयार नहीं थम जाती है। अभी कई ऐसे सवाल हैं, जिन्हें लेकर यूपी की सियासत गरमाई हुई है कि आखिर इन तीनों आरोपियों ने क्यों अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतारा? आखिर क्यों पुलिस ने सुरक्षा में कोताही बरती? क्या पुलिस को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि अतीक की जान पर खतरा मंडरा रहा है?, जबकि अतीक ने एक नहीं, बल्कि कई बार अपनी जान खतरे में होने की बात कही थी।
इतना ही नहीं, उसने इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, तब यूपी पुलिस ने कोर्ट में अतीक की सुरक्षा की गांरटी ली थी, लेकिन पुलिस अपनी इस गारंटी पर खरी नहीं उतर पाई। उधर, शुरुआती पूछताछ में तीनों आरोपियों ने एक-दूसरे को पहचानने से इनकार कर दिया है। तीनों का अपराध से पुराना नाता रहा है। पुलिस पूछताछ में तीनों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वो अतीक को मारकर प्रदेश का बड़ा माफिया बनना चाहते थे। अब ऐसे में माना जा रहा है कि इस खेल में महज ये तीनों आरोपी ही शामिल नहीं हैं, बल्कि और भी कई किरदार हो सकते हैं, जिनकी तलाश में अभी पुलिस जुटी हुई है।
वहीं, विपक्षी दल लगातार अतीक-अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हत्या के बाद सीएम योगी की कार्यप्रणाली पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच अब इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग उठी है। आपको बता दें कि पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने CBI जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उन्होंने अपनी याचिका में स्पष्ट कर दिया है कि भले ही अतीक दुर्दांत अपराधियों में गिना जाता हो, लेकिन पुलिस अभिरक्षा में सरेआम उसकी हत्या हो जाती है और पुलिस देखती रह जाती है। यह सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हैं, लिहाजा इस पूरे मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच होनी चाहिए। इसके अलावा जिस तरह अतीक कई मर्तबा अपनी जान को खतरे में बता चुका था, लेकिन पुलिस ने उसकी ताकीद की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
ध्यान रहे कि साबरमती जेल से रवाना होने के बाद दौरान भी माफिया ने मीडिया से कहा था कि मुझे बंदूक की नोक पर मारने चाहते हैं, लेकिन उस वक्त लगा कि वो एनकाउंटर में खुद के मारे जाने की बात कह रहा है, लेकिन किसे पता था कि अतीक पुलिस एनकाउंटर में नहीं, बल्कि बदमाशों की बंदूक का शिकार बनेगा। ध्यान रहे कि एक दिन पहले उसके बेटे असद का झांसी में एनकाउंटर कर दिया गया था। इस बीच जैसे उसे अपने बेटे के मौत के बारे में पता लगा था, तो बिलखने लगा था। उसने पुलिस से अपने बेटे के जनाजे में शामिल होने की इजाजत भी मांग थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से उसे इजाजत नहीं दी गई, लेकिन किसे पता था कि अतीक का कब्र भी उसके बेटे असद के बगल में ही खोदा जाएगा।