बेशक गुजरते वक्त के साथ हालात दुरूस्त हो जाएंगे। बेहतरी की बयार बहना शुरू हो जाएगी। बेशुमार कोशिशों के बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा, लेकिन उस दर्द को नहीं भुलाया जा सकता है, जो हम सभी ने कोरोना काल में झेले हैं। इस कोरोना ने न जाने कितने ही घरों को उजाड़ दिया। कितने ही बच्चे अनाथ हो गए। कितनी सुहागिनें विधवा हो गईं। कितने ही ख्वाब मुकम्मल होने से पहले ही खत्म हो गए और अगर इन सबका अगर कोई जिम्मेदार था, तो वो था कंबख्त ये बेरहम कोरोना, न जाने किस जन्म की सजा इसने हम सभी को दी। क्या बच्चे…क्या बड़े…क्या बुजुर्ग… कंबख्त इस कोरोना ने सभी को मौत की नींद सुलाकर खूब हाहाकार मचाया। हमने वो दौर भी था जब चिकित्सक भी अपने लियाकत को परे रखकर लाचार थे और मौत का तांड़व जारी थी, लेकिन सलाम हमारे इन चिकित्सककर्मियों को जिन्होंने हर विपरीत परिस्थितियों का दट कर सामना किया और बेलगाम हुए कोरोना का एक ऐसा तोड़ निकाला, जो आज हम सभी के लिए राहत का सबब है। आज इसी तोड़ का नतीजा है कि मायूस गलियां लोगों की आमद से गुलजार हो चुकीं हैं। इन मायूस गलियों के खिलखिलाने का सबब ही कोरोना की वैक्सीन।
आपको तो पता ही होगा कि विपक्षी दलों ने तो आलोचनाओं के मामलों में तो कीर्तिमान स्थापित कर रखा है। लिहाजा इन्होंने कोरोना वैक्सीन की भी खूब आलोचना की। पीएम मोदी पर ही सवाल दाग दिए कि पहले आप क्यों नहीं वैक्सीन लगवा लेते हैं। तरह-तरह की भ्रांतिया फैलाई गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि लोगों में इसे लेकर खौफ पैदा हो गया और वे इसे लगवाने से कतराने लगे। लेकिन सरकार ने लोगों को वैक्सीन के लाभ गिनाते हुए इससे जृड़ी तमाम भ्रांतियों को सिरे से खारिज करते हुए इसकी उपयोगिता से अवगत कराया और उन्हें यह समझाने का प्रयास किया कि यह आपके लिए किस तरह फायदेमंद हो सकता है। सरकार ने लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि जिस कोरोना ने आप लोगों की हसीन जिंदगी को उजाड़ दिया है।
Mutual recognition of COVID-19 vaccination certificates continues!
Five more recognitions for India’s vaccination certificate, including from Estonia, Kyrgyzstan, State of Palestine, Mauritius and Mongolia.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) November 1, 2021
अगर आपने एतबार रखा तो यही वैक्सीन जिदंगी को फिर से गुलजार कर सकता है। आपके चेहरे का नूर लौटा सकता है। आपकी खोई हुई हंसी आपको वापस मिल सकती और हुआ भी ऐसा ही। सरकार की इन्हीं कोशिशों के उपरांत लोगों का विश्वास वैक्सीन के प्रति लौटा और आज इसी का नतीजा है कि भारत में 100 करोड़ से भी अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है। अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो यकीन मानिए वो दूर नहीं, जब कोरोना की दूसरी डोज के मामले में हम यह आंकड़े को पार कर लेंगे। हालांकि, अभी-भी काफी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो वैक्सीन लगवाने के मामले में पसोपेश की स्थिति में हैं, लेकिन सरकार ऐसे लोगों की समझाइश कर वैक्सीन के प्रति उनकी विश्वास बहाली कर रही है।
लेकिन समस्याओं का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ है। अभी तो भारत को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भी लोगों को यह विश्वास दिलाना है कि उसके देश में बनी वैक्सीन कोरोना को निष्प्रभावी करने में उपयोगी है। हालांकि, इस दिशा में सरकार प्रयासरत है, जिसके परिणाम भी निकलकर सामने आ रहे हैं। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि आज एस्टोनिया, किर्गिस्तान, फिलिस्तीन, मॉरीशस और मंगोलिया ने भारत में बनी वैक्सीन के आगे घुटने टेकते हुए इसकी उपयोगिता को सलाम करते हुए इसे मान्यता प्रदान कर दी है। हालांकि यह देश इसे मान्यता देने की दिशा में आनाकानी कर रहे थे, इसे लेकर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लिहाजा इस पर कोई टिका टिप्पणी करना मुनासिब नहीं होगा, लेकिन शयाद आपको पता होगा कि बीते दिनों ब्रिटेन भारतीय वैक्सीन को लेकर आनाकानी कर रहा था। वो कह रहा था कि भारतीय वैक्सीन लगवाने वाले हिंदुस्तानी मुसाफिरों को ब्रिटेन आने पर तय मियाद तक आइसोलेट रहना होगा, जिसे लेकर भारत ने एतराज जताने से गुरेज नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि ब्रिटेन ने अपने रूख में परिवर्तन करते हुए इसे पुन: मान्यता प्रदान किया, जो इस बात को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि भारतीय वैक्सीन कोरोना के समूल नाश में उपयोगी साबित हो सकती है, जरूरत है कि इसे प्रणालीगत तरीके से उपयोग में लाया जाए। बहरहाल, कोरोना की वैक्सीन बनकर तैयार हो चुकी हो, लेकिन अभी भी हमें करोना को लेकरे सतर्क रहने की जरूरत है।