नई दिल्ली। देशविरोधी गतिविधियों और पीएम नरेंद्र मोदी समेत नामचीन लोगों पर हमले और उनकी हत्या की साजिश रचने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI पर आखिरकार केंद्र सरकार ने 5 साल का बैन लगा दिया। पीएफआई साल 2006 में बनने के बाद से लगातार इस तरह के विवादों में घिरा रहा। हिंसा की घटनाओं और देशविरोधी ताकतों से मिलकर काम करने और देश के टुकड़े करने की साजिश में उसका नाम आता रहा है। आपको बताते हैं कि ये संगठन आखिर बना कब और किन साजिश में पीएफआई का नाम आया। पीएफआई की स्थापना 22 नवंबर 2006 को हुई थी। केरल के नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट, कर्नाटक के फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु के मनिता नीति पसरई का विलय कर पीएफआई बना था। संगठन का चीफ ओएमए अब्दुल सलाम है।
प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के लोग भी इस संगठन में रहे। सिमी का राष्ट्रीय सचिव रहा अब्दुल रहमान पीएफआई का अध्यक्ष भी रहा है। अब्दुल हमीद नाम का राज्य सचिव भी सिमी का सचिव था। पीएफआई की स्थापना करने वालों में शामिल ईएम रहिमन, ई. अबुबकर और पी. कोया भी सिमी से जुड़े रहे थे। पीएफआई ने साल 2012 में सबसे पहले बड़ा प्रदर्शन किया था। इसने 2009 में अपनी राजनीतिक शाखा डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) बनाई। फिर कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) बनाकर युवाओं और छात्रों को जोड़ने की कोशिश की। पीएफआई का नाम कई विवादों और हिंसा की घटनाओं से जुड़ा। साल 2003 में केरल के कोझीकोड में 8 हिंदुओं की हत्या के आरोपी भी इसमें शामिल हुए थे। साल 2010 में पीएफआई से जुड़े लोगों ने ईशनिंदा के आरोप में केरल के प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काट डाला था। इस मामले में संगठन के 27 लोग गिरफ्तार हुए थे। 2010 के जुलाई में ही केरल में पीएफआई के सदस्यों के यहां से पुलिस ने बम, हथियार, तालिबान और अल-कायदा के प्रचार से जुड़े दस्तावेज बरामद किए थे।
साल 2013 में केरल में ही पीएफआई के लोगों पर छापे में घातक हथियार वगैरा भी मिले। केरल सरकार ने 2012 में हाईकोर्ट में बताया कि हत्या के 27 मामलों में पीएफआई की भागीदारी थी। 6 जुलाई 2012 को केरल के कन्नूर में एबीवीपी के सदस्य की हत्या में पीएफआई का नाम आया। इसी साल असम में बोडो बनाम मुस्लिम दंगों में भी संगठन का हाथ होने का पता चला था। 2017 में केरल पुलिस को पता चला कि पीएफआई के 6 मेंबर आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल हुए। फरवरी 2019 में संगठन के लोगों ने पीएमके मेंबर की हत्या कर दी।
साल 2017 में एक स्टिंग ऑपरेशन में पीएफआई के संस्थापक मेंबर अहमद शरीफ ने माना था कि संगठन को खाड़ी देशों से हवाला के जरिए फंड मिलता है। उसने ये भी कहा था कि पीएफआई पूरी दुनिया को इस्लामी बनाना चाहता है। साल 2020 में नागरिकता संशोधन कानून CAA के खिलाफ दिल्ली में हुई हिंसा में भी संगठन का हाथ होने का पता चला था। पटना के फुलवारी शरीफ में छापे में दो पीएफआई सदस्य गिरफ्तार हुए थे। उनके पास मिले दस्तावेज से पता चला था कि भारत को 2047 तक इस्लामी राष्ट्र बनाने की पीएफआई ने साजिश रची थी। मौजूदा साल तेलंगाना के निजामाबाद में पीएफआई के 25 लोगों पर हथियार चलाने का ट्रेनिंग कैंप लगाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। वहीं, कर्नाटक में हिजाब विवाद और बीजेपी के युवा नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या में भी पीएफआई के शामिल होने के सबूत मिले थे।