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BKU के पूर्व जिलाध्‍यक्ष का बड़ा आरोप, कहा- आंदोलन को मिल रही है विदेशी व विपक्ष की फंडिंग

Farmer Protest: वीरेंद्र सिंह(Virendra Singh) ने कहा, ’26 जनवरी को जो कुछ हुआ उसके बाद राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) को आंदोलन खत्म कर दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर कर देना चाहिए था। सरकार उन्हें किसान समझ रही है, वो किसान नहीं हैं।

लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्‍यक्ष व किसान नेता महेन्‍द्र सिंह टिकैत के करीबी रहे वीरेन्‍द्र सिंह गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहे राकेश टिकैत पर दिए गए बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। वीरेन्‍द्र सिंह का शुमार मुजफ्फरनगर के कददावर किसान नेताओं में किया जाता है। वीरेन्‍द्र सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत अपने हित को लेकर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। उनको पंजाब की बड़ी नशा माफियाओं की लॉबी आंदोलन के लिए फाइनेंस कर रही है। उन्‍होंने कहा कि किसान कभी देश विरोधी नहीं रहा है। वह अनाज भी पैदा करता है और सीमा पर रक्षा करने वाले जवान भी। मीरापुर के कुतुबपुर निवासी किसान नेता चौधरी वीरेन्‍द्र सिंह किसानों के सबसे बड़े नेता रहे बाबा महेन्‍द्र सिंह टिकैत के सबसे करीबी साथी रहे हैं। वह भारतीय किसान यूनियन के साथ 1987 से जुड़े हुए हैं। वह महेन्‍द्र सिंह टिकैत के सलाहकार रहने के साथ-साथ दस साल तक यानि 1992 से 2002 तक भाकियू के मुजफ्फरनगर इकाई के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं।

वीरेन्‍द्र सिंह किसानों के हर छोटे और बड़े आंदोलन में बाबा महेन्‍द्र सिंह टिकैत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शामिल रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्‍ली के लाल किले पर जो हुआ। वह बहुत ही शर्मनाक है। बाबा टिकैत यह आंदोलन कर रहे होते तो यह घटना कभी नहीं होती। उन्‍होंने अपने तर्कों से पूरे किसान आंदोलन की पोल खोलकर रख दी है। वीरेन्‍द्र सिंह ने कहा कि मंडी शुल्‍क समाप्‍त होने से किसानों को सीधा फायदा मिल रहा है। यही नहीं, गन्‍ना की कांट्रेक्‍ट फार्मिंग किसान पहले से कर रहे हैं।

वीरेन्‍द्र सिंह ने कहा कि चौधरी महेन्‍द्र सिंह टिकैत के दौर में जो आंदोलन होते थे। उसमें घरों और ढाबों से खाना बनकर जाया करता था लेकिन मौजूदा आंदोलन में फाइव स्‍टार की सुविधाएं मौजूद हैं। देश जनता के सामने पूरी आंदोलन की हकीकत सामने आ चुकी है। देश विरोधी ताकतें पूरे आंदोलन को फाइनेंस कर रही हैं। बाबा टिकैत के समय जो आंदोलन हुए, उनमें अगर हिंसा हुई तो आंदोलन समाप्त हो जाते थे। किसान आंदोलन राकेश टिकैत का हठ बन गया है।

Chaudhary Virendra Singh Farmer Leader Rakesh Tikait

वीरेंद्र सिंह ने कहा, ’26 जनवरी को जो कुछ हुआ उसके बाद राकेश टिकैत को आंदोलन खत्म कर दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर कर देना चाहिए था। सरकार उन्हें किसान समझ रही है, वो किसान नहीं हैं। किसान के भेष में कुछ और है। सरकार के सब्र का बांध अभी नहीं भरा है। सरकार कह रही है अभी और देख लें। ये सभी शर्मनाक हैं, किसान के नाम पर धब्बा हैं। इन लोगों ने हमेशा के लिए किसान को बदनाम कर दिया है। किसान कभी देश विरोधी नहीं रहा, पर इन लोगों ने किसान को देश विरोधी बना दिया। इन्होंने देश के साथ गद्दारी करने की कोशिश की है। ये तो बदले जमाने का दौर है।’ वीरेन्‍द्र सिंह का कहा कि बाबा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कुर्ते में जेब नहीं थी। राकेश टिकैत के पास कई जेबें हैं। यह उनको बताना होगा कि उनके पास का कौन सा अलादीन का चिराग आ गया है। जो उनके घर की परिस्थितियां बदल गई हैं।