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UCC in Uttarakhand: CM धामी ने किया UCC लागू करने का ऐलान, तो तेज हुई सियासी हलचल, जानिए अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ?

UCC in Uttarakhand: इस सिलसिले 5 फरवरी को विधानसभा का विशेष सत्र भी आहूत किया गया है। वहीं, यूसीसी को लेकर सीएम धामी की गंभीरता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने इसकी वजह अपना अयोध्या दौरा भी निरस्त कर दिया।

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है। दरअसल, उन्होंने प्रदेश में यूसीसी लागू करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि फरवरी तक इसे लागू कर दिया जाएगा। इस सिलसिले 5 फरवरी को विधानसभा का विशेष सत्र भी आहूत किया गया है। वहीं, यूसीसी को लेकर सीएम धामी की गंभीरता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने इसकी वजह अपना अयोध्या दौरा भी निरस्त कर दिया।

दरअसल, उन्हें कैबिनेट मंत्रियों के साथ आगामी 5 फरवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का दर्शन करने जाना था, लेकिन यूसीसी को लेकर अपनी व्यस्तता का हवाला देकर उन्होंने वहां से जाने से साफ इनकार कर दिया। बता दें कि यूसीसी लागू किए जाने की जानकारी सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद अपने ट्विटर हैंडल पर दी, जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘एक भारत,श्रेष्ठ भारत’ के विजन और चुनाव से पूर्व उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प एवं उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने हेतु सदैव प्रतिबद्ध रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए बनी कमेटी 2 फरवरी को अपना ड्राफ्ट प्रदेश सरकार को सौंपेगी और हम आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर समान नागरिक संहिता को प्रदेश में लागू करेंगे। बहरहाल, अब आगामी दिनों में सीएम धामी यूसीसी को लेकर क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले हम आपको बताते हैं कि अब तक इस पूरे मामले में क्या कुछ कदम उठाए जा चुके हैं।

UCC को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?

तो तारीख थी 23 मार्च और साल था 2022। जब पुष्कर सिंह धामी ने सरकार गठन के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लागू किए जाने का ऐलान किया था। इसके बाद 27 मई 2022 को यूसीसी को लेकर मसौदा तैयार किया गया। जिसके बाद इस संदर्भ में एक समिति का गठन किया गया था। बता दें कि जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति में दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल किया गया।

ध्यान दें, प्रदेश सरकार ने 6 माह के भीतर यूसीसी को लागू किए जाने की सीमा निर्धारित की थी, लेकिन कार्य पूरा ना हो पाने की वजह से सरकार ने इस समय सीमा को बढ़ा दिया। बता दें कि इस समय सीमा को 27 सितंबर 2023 तक कर दिया गया था, लेकिन इस समय सीमा में भी काम पूरा नहीं हो सका, तो इसे बढ़ाकर 26 जनवरी कर दिया गया। समिति ने इस मसौदे को तैयार करने के लिए कुल 63 बैठकें की थीं। अब तक 20 हजार लोग इस संदर्भ में अपना सुझाव दे सकें। यही नहीं, समिति ने इस संदर्भ में 13 जिलों के लोगों से संवाद भी स्थापित किया था।

इसके बाद कई राजनीतिक दलों के सुझाव भी लिए गए थे, जिसमें कुछ ने इसका विरोध किया था, तो कुछ ने समर्थन किया था। बहरहाल, अब आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह से प्रदेस में यूसीसी लागू किए जाने का ऐलान किया है, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। अब ऐसे में आगामी दिनों में इस संदर्भ में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम छोटी बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए बने रहिए। न्यूज रूम पोस्ट के साथ।