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Adhir Ranjan Chowdhary: कौन हैं कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, जिनके बयान पर मचा हुआ है बवाल

Adhir Ranjan Chowdhury: भले ही अब पार्टी की वो धाक नहीं रह गई हो लेकिन अब भी पार्टी में कई ऐसे दिग्गज मौजूद हैं जिन्होंने पार्टी में ये बदलाव होते हुए देखे हैं। इन्हीं दिग्गजों में से एक हैं अधीर रंजन चौधरी जिन्हें मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का खास माना जाता है। हालांकि इस वक्त सोनिया गांधी के इन्हीं खास नेता ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है।

नई दिल्ली। वैसे तो आज देश (भारत) में एक नहीं बल्कि अनेकों दल हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, टीएमसी ऐसे ही अनेक दल लेकिन अगर थोड़ा पीछे जाए तो एक वक्त था जब देश में कांग्रेस का ही राज था। कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी। भले ही अब पार्टी की वो धाक नहीं रह गई हो लेकिन अब भी पार्टी में कई ऐसे दिग्गज मौजूद हैं जिन्होंने पार्टी में अनेक बदलाव होते हुए देखे हैं। इन्हीं दिग्गजों में से एक हैं अधीर रंजन चौधरी जिन्हें मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का खास माना जाता है। हालांकि इस वक्त सोनिया गांधी के इन्हीं खास नेता ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है।

दरअसल, इन दिनों ईडी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ कर रही है। इसी को लेकर बीते शुक्रवार को भी पार्टी (कांग्रेस) ने संसद भवन परिसर में विरोध किया था। इसी दौरान एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का इस्तेमाल किया था। हालांकि जब अधीर रंजन चौधरी के इस बयान पर बवाल शुरू हुआ तो उन्हें अपने बयान पर सफाई भी दी और कहा कि “इस पर माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। मेरे मुंह से राष्ट्रपति के लिए गलत शब्द निकला, अब अगर आप मुझे इसके लिए फांसी देना चाहते हैं, तो आप दे सकते हैं।” भाजपा पर मामले को तूल देने का आरोप लगाते हुए अधीर रंजन ने कहा कि सत्ताधारी दल मेरे बयान को लेकर जानबूझकर इसे तिल से पहाड़ बनाने में लगी हुई है। जबकि मैं राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करता हूं।” भले ही अधीर रंजन चौधरी ने अपने बयान पर सफाई दे दी है लेकिन अब पार्टी विरोधी दलों के निशाने पर आ गई है। ये तो था ताजा मामला अब चलिए जान लेते हैं अधीर रंजन चौधरी के बारे में कुछ जानकारियां।

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जैसा कि हम बता चुके हैं कि अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस (Congress) पार्टी के नेता हैं। इनका जन्म 2 अप्रैल 1956 को पश्चिम बंगाल के अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर में हुआ था। अधीर रंजन के पिता का नाम निरंजन चौधरी है तो वहीं, उनकी माता का नाम श्रीमती सरजुबाला चौधरी हैं। 15 सितंबर 1987 को अर्पिता चौधरी संग अधीर रंजन चौधरी ने शादी की। वहीं राजीव गांधी के प्रीमियर के दौरान उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा (शामिल)।

कैसा है अधीर रंजन चौधरी का राजनीति का करियर

1991 में अधीर रंजन चौधरी ने (Adhir Ranjan Chowdhury) नाबाग्राम निर्वाचन क्षेत्र से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि इस चुनाव में चौधरी को 1,401 वोटों के अंतर से हार मिली थी लेकिन बाद में चौधरी उसी निर्वाचन क्षेत्र से 1996 में चुने गए थे। इस चुनाव में अधीर रंजन चौधरी के पक्ष में 76,852 मत पड़े और करीब 20,329 मतों के अंतर से उन्हें जीत हासिल हुई। इसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने बेरहमपुर निर्वाचन क्षेत्र से 1999 का भारतीय आम चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें 95,391 वोटों के अंतर से जीत मिली। इसी सफलता के हाथ लगने के बाद अधीर रंजन चौधरी को मुर्शिदाबाद जिले का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। साल 2000 और 2004 के बीच अधीर रंजन चौधरी ने विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। आगे चलकर 28 अक्टूबर 2012 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तहत केंद्रीय मंत्रालय में रेल चौधरी को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने रेलवे बोर्ड के सदस्यों के साथ सुरक्षा समय की पाबंदी और यात्री सुविधाओं की समीक्षा की साथ ही यात्री सुविधाओं की पर्याप्तता की जांच करने के लिए हावड़ा, बेहरामपुर, सियालदह के साथ ही कई रेलवे स्टेशनों का निरीक्षण भी किया। 10 फरवरी 2014 को चौधरी पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष बने और उन्हें साल 2019 जून में लोकसभा में कांग्रेस के नेता के रूप में चुन लिया गया।

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अधीर रंजन चौधरी की ये है उपलब्धियां

अधीर रंजन चौधरी लोगों के लिए हमेशा से आगे रहे हैं। चौधरी विकास और सांप्रदायिक सद्भाव की वजह से बढ़ावा देने के लिए लोगों से मिलना पसंद करते हैं। सार्वजनिक जीवन को प्रभावित करने वाले सभी पहलुओं में अधीर रंजन चौधरी की गहरी दिलचस्पी है। लोकसभा सदस्य के रूप में भी अधीर रंजन चौधरी अब तक कुल 5 निजी सदस्यों के बिल पेश कर चुके हैं। जो कि द प्रोहिबिशन एंड एनाडिकेशन ऑफ रैगिंग बिल, 2016, द ओल्ड एज पेंशन एंड रिहैबिलिटेशन बिल, 2014 इत्यादि हैं।