नई दिल्ली। कांग्रेस की आज अहम बैठक तय है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ये बैठक बुलाई है। बैठक में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, सचिन पायलट के अलावा राहुल गांधी भी शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस की इस बैठक के बारे में कहा जा रहा है कि राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति तय की जाएगी। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट को राजस्थान में अहम किरदार देने का फैसला भी मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी इस बैठक में ले सकते हैं। यानी सचिन पायलट के लिए आज का दिन अहम है, लेकिन मसला एक बार फिर अशोक गहलोत को लेकर फंसता दिख रहा है।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी अदावत लंबे समय से चल रही है। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने राजस्थान में दोनों की रार खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल अपनाने का फैसला किया है। जैसे छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाया गया, वैसी ही कोई भूमिका सचिन पायलट के लिए तय मानी जा रही थी, लेकिन बैठक से ठीक पहले अशोक गहलोत के पैरों में चोट लग गई। गहलोत के पैर में फ्रैक्चर है। ऐसे में कांग्रेस की आज जो अहम बैठक तय है, उसमें उनका शामिल होना अभी संशय के घेरे में दिख रहा है। अगर बैठक न हुई, तो सचिन पायलट को अपने भविष्य के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि, खरगे और राहुल अगर चाहें, तो सचिन पायलट को भी राजस्थान की सरकार या संगठन में अहम ओहदा दे सकते हैं। राजस्थान में साल 2018 के विधानसभा चुनाव के वक्त सचिन पायलट ही प्रदेश अध्यक्ष थे। कांग्रेस की झमाझम जीत के बाद उनको गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम भी बनाया गया। इसके बाद अशोक गहलोत और पायलट में तनातनी हो गई। 2020 में पायलट अपने साथ 18 विधायक लेकर बागी तेवर दिखाते हुए हरियाणा के मानेसर आ गए। तब बड़ी मुश्किल से कांग्रेस आलाकमान उनको मना पाया।
25 सितंबर 2022 को जब कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने खरगे और अजय माकन को जयपुर भेजा, तो अशोक गहलोत के समर्थक विधायक बगावत पर उतर आए। उन्होंने सचिन पायलट को सीएम बनाने या कोई बड़ी जिम्मेदारी देने के खिलाफ आवाज उठा दी। सचिन पायलट ने भी बीते दिनों गहलोत सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन और अजमेर से जयपुर की 5 दिन की पदयात्रा की थी। अशोक गहलोत कई बार सचिन के लिए गद्दार, नाकारा और बड़ा वाला कोरोना भी कहते नजर आए थे। अब ऐसे में देखना है कि कांग्रेस आलाकमान इस बार सचिन के लिए कुछ कर पाता है या गहलोत की जादूगरी के सामने फिर हथियार डालता है।