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UP: यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी में योगी सरकार!, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने दिए संकेत

Uniform Civil Code in Uttar Pradesh: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि देश को अब इसकी जरूरत है। अब वक्त आ गया है कि पूरे देश में एक कानून को लागू किया जाए। पुरानी सरकारों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि, तुष्टिकरण की सियासत के चलते इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने संकेत दिए है कि यूपी सरकार इस पर सोच विचार कर रही है। 

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर दोबारा कब्जा होते ही योगी आदित्यनाथ सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में नजर आ रही है। एक तरफ जहां अपराधियों के खिलाफ योगी सरकार का बुलडोजर लगातार चल रहा है। वहीं अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में दोबारा आते ही अपना वादा पूरा करने में लग गए है। बीते कई दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही जा रही है। जिसको लेकर राजनेताओं की प्रतिक्रिया लगातार सामने आ रही है। इस बीच अब यूपी में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में योगी सरकार अपने कदम बढ़ाते दिखाई दे रही है। दरअसल यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इसके संकेत दिए हैं।

लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड पर केशव प्रसाद मौर्य ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि देश को अब इसकी जरूरत है। अब वक्त आ गया है कि पूरे देश में एक कानून को लागू किया जाए। पुरानी सरकारों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि, तुष्टिकरण की सियासत के चलते इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने संकेत दिए है कि यूपी सरकार इस पर सोच विचार कर रही है।

बता दें कि इससे पहले उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने (CM Pushkar Singh Dhami) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर बड़ा निर्णय लिया था। सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी।

जानिए, क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड-

यूनिफॉर्म सिविल कोड में प्रावधान है कि सभी धर्मों के लोगों को एक समान कानून का अनुपालन करना होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने के बाद किसी भी धर्म विशेष के नियमों को तरजीह नहीं दी जाएगी। सभी सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का अनुपालन करने के प्रति बाध्य रहेंगे। मसलन, मुस्लिम धर्म में शरीयत को अधिक तरजीह नहीं दी जाएगी। शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लोग एक कानून का अनुपालन करने के प्रति बाध्य रहेंगे।