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International Women’s Day 2022: क्यों मनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, क्या है इसका इतिहास और महत्व?

International Women’s Day 2022: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, महिला अधिकार आंदोलन का एक तरह का सेंटर प्वाइंट है, जो लैंगिक समानता, प्रजनन अधिकार, और महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करता है।

नई दिल्ली। हर साल 8 मार्च को मनाया जाने वाला ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ आज है। पूरे विश्व में महिलाओं को समानता का अधिकार देने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन कई संस्थाएं महिलाओं से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है। ये भी कहा जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, महिला अधिकार आंदोलन का एक तरह का सेंटर प्वाइंट है, जो लैंगिक समानता, प्रजनन अधिकार, और महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। इसके अलावा महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार को प्रदर्शित करने के लिए भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाया जाता है। इसे महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है।

हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है और उसी के आधार पर ये उत्सव मनाया जाता है। इस बार इस की थीम है ‘Gender equality today for a sustainable tomorrow’ यानी ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता जरूरी’। इस बार की थीम में लैंगिक समानता को केन्द्रित किया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई और इसका महत्व क्या है? अगर नहीं तो आइये आपको इन सब विषयों के बारे में विस्तार से बताते हैं…

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

8 मार्च 1975 को ‘युनाइटेड नेशन्स’ (United Nations) ने महिला दिवस मनाने की शुरुआत की थी, हालांकि उससे पहले साल 1909 में इसे मनाने के प्रयास शुरु किये जा चुके थे। 28 फरवरी 1909 को पहली बार अमेरिका में महिला दिवस मनाया गया था। ‘सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका’ ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स द्वारा की गई हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया था। वहीं दूसरी ओर रूसी महिलाओं ने 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया था। इसके जरिये उन्होंने पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद साल 1917 को रूस की महिलाओं ने ‘ब्रेड एंड पीस’ की मांग को लेकर हड़ताल की थी। ये हड़ताल फरवरी के अंतिम रविवार को शुरू हुई थी। कहा जाता है कि ये एक ऐतिहासिक हड़ताल थी। रूस में सत्ता परिवर्तन होने के बाद वहां की अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया था। 8 मार्च को ही यूरोप में महिलाओं ने पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां भी निकालीं थीं।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को सम्मान और प्यार देने को लेकर समाज के लोगों में जागरूकता फैलाना है, साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है। महिलाओं के हौसलों को बुलंद करने और समाज में फैली असमानता को दूर करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी, जो लगभग सफल रहा है। आज महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति पहले से कहीं अधिक जागरुक हुई हैं।