नई दिल्ली। कैंसर (Cancer) यह एक ऐसा नाम है जिसको सुनते ही पैरों तले जमीन खिसक जाती है। ऐसे में व्यक्ति डरा हुआ और दुखी हो जाता है। उसे जीवन के प्रति उदासीनता घेरने लगती है। उसमें हीन भावना पैदा हो जाती है। उसे ऐसा लगता है जैसे मानो उस की सारी दुनिया ही खत्म सी हो गई हो। ऐसी बीमारी के डर और खौफ में योग (Yoga) एक ऐसा माध्यम है, जिससे कैंसर रोगियों के मन और शरीर के दिमाग का उपचार किया जा सकता है। योग ऐसा कारगर उपाय है जो थकान और सूजन को कम करने में मदद करता है। कई अध्ययनों के अनुसार कैंसर से ग्रस्त मरीजों के लिए योग शारीरिक और भावनात्मक तरह से उपचार करने के साथ-साथ इलाज के दौरान और बाद में जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। ऐसे में योग एक्सपर्ट अलका सिंह ने हमें बताया कि कैसे हम योग की मदद से कैंसर रोगियों के मन और शरीर का उपचार कर सकते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर में प्राणायाम के फायदे
प्राणायाम स्तन कैंसर (Breast Cancer) के रोगियों द्वारा सामना की जाने वाली नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसका उपयोग विकिरण चिकित्सा प्राप्त करने वाले स्तन कैसर के रोगियों के लिए एक सहायक चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है। कैंसर के रोगियों में प्राणायाम का परीक्षण भी किया गया अध्ययनों ने पहले भी बताया है कि प्राणायाम कैंसर से संबंधित थकान को कम करने और स्तन कैंसर के रोगियों में एंटी ऑक्सीडेंट के स्तर में सुधार करने में प्रभावी था। स्तन कैंसर के मरीज जो भावनात्मक रूप से व्यक्त नहीं करते हैं। उनमें तनाव चिंता क्रोध शत्रुता और थकान सकोर की उच्च दर होती है। ऐसे में योग प्राणायाम और ध्यान ने व्यसको मे चिंता और अवसाद को कम करने में प्रभावशीलता दिखाई है।
कई अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि योग और प्राणायाम ने रोगियों के बीच भावनात्मक भलाई में सुधार किया है। रिसर्च के अध्ययन से पता चला कि योग, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान, ओमनाद और संगीत योग के सुप्रभावों ने स्तन कैंसर के रोगियों के तनाव, डर, भय, चिंता और घबराहट के बोझ को कम कर के स्वास्थ्य में सुधार किया। आसन, क्रिया, प्राणायाम, ध्यान, उदगीद और ओम नाद से भावनात्मक बुद्धि ज्ञान और सामान्य स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। योग व्यक्ति के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है। शारीरिक महत्वपूर्ण मानसिक भावनात्मक बौद्धिक और आध्यात्मिक। योग आराम करने और स्फूर्ति देने में मदद करता है। आसन और प्राणायाम न्यूरो एंडोक्राइन सिस्टम में सामंजस्य बिठाकर विश्राम लाते हैं। इस प्रकार योग प्राणायाम और ध्यान रोगियों को पुराने दर्द के भावनात्मक पहलुओं से निपटने चिंता और अवसाद को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करते हैं। योग और रजोनिवृति संक्रमण पर एक समीक्षा बताती हैं कि योगाभ्यास दैनिक जीवन से व्याकुलता और आत्मसम्मान में वृद्धिप्रदान कर सकता है और तंत्रिका तंत्र के कामकाज और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार दिखाता है।
एक अध्ययन के परिणामों के अनुसार प्राणायाम करने वाले स्तन कैंसर के रोगियों में चिंता, डर और निराशा जैसी भावनाओं में उल्लेखनीय कमी आई थी। प्राणायाम कैंसर से संबधित थकान को कम करने मे प्रभावी था। प्राणायाम भी इन रोगियों में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाने के लिए पाया गया था। कुछ विशेष प्राणायाम में अनुलोम-विलोम कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए कम से कम एक घंटा अवश्य करना चाहिए।
कैंसर से पीड़ित मरीजों की योगाभ्यास ने कितनी मदद की है। अमेरिकन मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर जेनिंग्स की कोल्ट गलासेर के अनुसार कुछ महीने तक नियमित योगाभ्यास से स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं को भी काफी लाभ मिल सकता है। यही नहीं यह थकान सूजन से पीड़ित के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सूजन को गठिया, मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर सहित कई बीमारियों से जुड़ा हुआ पाया जाता है। यूनिवर्सिटी ऑल टैक्सास एंड रंजन कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया है। कि योग स्तन कैंसर के लिए विकिरण चिकित्सा के दौर से गुजर रही महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। योग के जरिए महिलाओं ने में थकान कम करने के अलावा अपने समस्त अपने समग्र स्वास्थ्य और शारीरिक कामकाज में सुधार के साथ ही तनाव हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को भी अनुभव किया। इसके बाद के लाभ महत्वपूर्ण है क्योंकि दिन भर में उच्च तनाव हार्मोन का स्तर स्तन कैंसर के परिणामों को खराब कर सकता है। ब्रेस्ट कैंसर पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। इसी तरह भारत में भी अपनी जड़ पकड़ रहा है।
स्तन कैंसर की शुरुआत
स्तन कैंसर की शुरुआत स्तन के ऊतकों यानी टिश्यू से होती हैं। आम तौर पर इसकी शुरुआत दुग्ध नलिकाओं की अंदरूनी परत या नलिकाओं को दूध पहुंचाने वाले हिस्से से होते हैं। पूरी दुनिया में महिलाओं में जो भी कैंसर के मामले हैं। उनमें से लगभग 23 फीसदी स्तन से संबंधित हैं अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने सन् 2013 में महिलाओं में स्तन कैंसर के 2 लाभ से भी अधिक नए मामले दर्ज किए।
स्तन कैंसर के मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक कारण
स्तन कैंसर के मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक कारण जीवन शैली से जुड़े हैं। जैसे शारीरिक रूप से सक्रिय ना होना, धूम्रपान, शराब, गुटका का सेवन, खानपान की गलत आदत, मोटापा, हारमोंस का उच्च स्तर, बच्चे पैदा ना करना या स्तनपान ना कराना यह सब कारण कैंसर के बनते हैं।
कैंसर को फैलने और निजात पाने का तरीका है योग
योग करने से शरीर अंदर से सट्राग बनता है तथा योग अभ्यास से शरीर में इतना एनर्जी आ जाती है कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी कोसों दूर रहती है। कैंसर के मरीजों को योग के साथ-साथ अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कैंसर में भी है योग कारगर
नियमित योग करें इससे मनोबल और इम्यूनिटी तेजी से बढ़ती है। ब्रेस्ट कैंसर में योग के अभ्यास से स्तन कैंसर के रोगियों को बेहतर महसूस होता है। यह ट्रीटमेंट के दौरान होने वाली थकान मतली स्थिरता और कमजोरियों जैसे दुष्प्रभावों को दूर करता है। योग से स्तन कैंसर के रोगियों को ताकत और गतिशीलता में सुधार होता है। इस खतरनाक बीमारी से मन में उठने वाले चिंता, तनाव, घबराहट, कम होती है योग करने से कई रोगों को दूर रखा जा सकता है। योग से शरीर के सभी मर्ज ठीक हो सकते हैं। योग का असर इतना शक्तिशाली होता है कि इससे कैंसर से भी बचा जा सकता है। योगाभ्यास से कैंसर जैसी बीमारियों को आप दूर कर सकते हैं। खासकर बेस्ट कैंसर में यह काफी फायदेमंद होता है।
दरअसल दूसरे के कैंसर की तुलना में स्तन कैंसर के लक्षणों की पहचान फर्स्ट स्टेज में ही हो जाती है। शुरुआती स्थिति में समय रहते ही योगाभ्यास शुरू कर देने से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। नियमित योग से आप ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली संभावनाओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। कई विशेष योगासन का ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक है। अनुसंधान से पता चला है कि कई विशेष योगासन जो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में कारगर हैं।
स्तन कैंसर रोगियों में अनुसंधान से पता चला है कि योग मदद करने में सक्षम हो सकता है। शारीरिक कामकाज में सुधार, थकान, तनाव, घबराहट, नींद में सुधार आता है।जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है। सूक्ष्म व्यायाम सबसे पहले सूक्ष्म व्यायाम की क्रियाएं अवश्य करें। सूक्ष्म व्यायाम की क्रियाएं पूरे शरीर में सूक्ष्म रूप से प्राण वायु का संचार करती हैं तथा शरीर को स्वस्थ रखने में कारगर सिद्ध होते हैं।
1. अंजनेयासन आसन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने के साथ ही मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है। इससे यह का संतुलन सुधरता है। तथा यह पाचन के अंगों में भी सुधार लाता है।
2. सेतुबंध आसन इसे ब्रिज पोज भी कहते हैं। सेतुबंधासन छाती को मजबूत बनाता है और नितंबों को मजबूत करता है। ये मुद्रा तनाव और हल्के अवसाद को कम करता है तथा उच्च रक्तचाप और अनिन्द्रा के लिए भी फायदेमंद है।
3. वीरासना योगासन शरीर की मसल्स पर प्रभाव डालता है। इससे शरीर में खून की सप्लाई भी बढ़ती है। इससे शरीर में बैलेंस भी बढ़ता है। हैविरासन एक ऐसी मुद्रा है जो शरीर के अंदर की अशांति को दूर करती है। इसका अभ्यास 30 से 60 सेकंड तक करें। विरासन घुटनों और जांघों को स्ट्रेच करता है। थके हुए पैरों को ऊर्जा देता है यह पोज पोस्चर को सुधारता है तथा उच्च रक्तचाप कम करने में भी मदद करता है।
4. मर्कटासन कैंसर के रोगियों के लिए फायदेमंद साबित होता है। पेट दर्द, सर्वाइकल, गैस्ट्रिक और गुर्दे के लिए भी फायदेमंद है। विधि इसके लिए पीठ के बल आराम से लेट जाएं इसके बाद कंधों के बराबर अपने हाथों को फैलाएं। फिर दोनों हाथों को घुटनों से मोड़ ले। अब दोनों पैरों को मिलाकर अपने दाएं और करें। इसके साथ ही गर्दन को बाएं और मोड़ फिर इस तरह आठ-दस बार अवश्य करें।
5. शवासन कैंसर से जूझ रहे रोगियों में आंतरिक शांति लाएगा। तनाव को कम करेगा और योगासन के बाद सबसे अंत में इस आसन का अभ्यास अवश्य करें 5 मिनट कम से कम करें। विधि -जमीन पर सीधे लेट जाएं। टांगों में नीचे की तरफ दो 3 इंच का खिंचाव दें, इसके बाद हाथों को खुला छोड़ने हाथी आंखें बंद करें और शरीर के हर अंग को आराम देने की कोशिश करें।
6. भुजंगासन इस आसन को करने से तनाव चिंता कमर के नीचले हिस्से के दर्द से निजात तथा पेट दर्द को दूर करने में मदद करता है। कैंसर रोग में यह आसन अत्यधिक लाभकारी हैं।
योग के इफेक्ट
एक स्टडी के अनुसार योग के इफेक्ट का बहुत बढ़िया रिजल्ट देखा गया है। इसके अलावा योग का विज्ञान शरीर और दिमाग के बीच संबंध को मजबूत करता है और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। ये योगासन ऐसे हैं जिनके अभ्यास से आपको हीलिंग और खुद में बदलाव लाने में मदद मिलेगी। योगासन शरीर पर सीधा असर डालते हैं। इससे शरीर में खून की सप्लाई भी बढ़ती है इससे शरीर की गलैड्स में बैलेंस बढ़ता है। शारीरिक गतिविधियों में इजाफा योगासन के लगातार अभ्यास से शरीर में ताकत लचीलापन शारीरिक गतिविधियां बढ़ती है। योग के निरंतर अभ्यास से बिस्तर पर लेटे शरीर को भी गतिशील बनाया जा सकता है। बेहतर नींद आती है। योगासन और प्राणायाम के लगातार अभ्यास से शरीर को आराम मिलता है। इससे आपको बेहतर नींद लेने में भी मदद मिलेगी और बढ़िया नींद ले सकेंगे। जिससे बीमारी ठीक होने की प्रक्रिया तेज हो सकेगी। तनाव में कमी किसी जान जानलेवा बीमारी से लड़ने में शारीरिक मानसिक और भावनात्मक ताकत की जरूरत पड़ती है। लेकिन आमतौर पर मरीज में इन्हीं चीजों की कमी होने लगती है।
बेस्ट कैंसर की रोकथाम करेंगे यह विशेष प्राणायाम
— कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने में अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत ही कारगर सिद्ध होता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से भावनात्मक पहलुओं से निपटने चिंता और अवसाद को कम करने बहुत मदद करता है। शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त बनाने में बहुत मदद करता है।
— शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें इससे मन दिमाग शरीर को ठंडक महसूस होती है। मन शांत होता है तनाव कम होता है। वहीं, कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी के कारण शरीर में उत्पन्न अधिक गर्मी को शांत करने के लिए शीतली शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास करें।
— कपालभाति प्राणायाम कैंसर रोग से निजात दिलाने का सबसे कारगर उपाय है। इसके द्वारा कैंसर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज हार्ट और ब्लॉकेज आदि की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
अंततः निष्कर्ष यह निकलता है कि योग के अभ्यास से ना सिर्फ आपको तनाव में कमी का एहसास होगा। बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करने में मदद मिलेगी। योग को अपनाकर स्तन कैंसर के रोगियों को जीने की उम्मीद का सहारा भी मिलता है। योग के आसन प्राणायाम ध्यान मेडिटेशन जैसे कई रूप होते हैं। जिसके अभ्यास से कैंसर के मरीजों को बीमारी के नेगेटिव प्रभावों से निपटने में भी मदद मिलेगी। यह बात रिसर्च में साबित हो चुकी हैं।