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Anonymous Cricketer: ई-रिक्शा चला रहे हैं राजाबाबू, कभी क्रिकेट के मैदान में मारते थे धोनी जैसा हेलीकॉप्टर शॉट

Rajababu: राजबाबू मूल रूप से जालौन के रहने वाले हैं। उनके परिवार में पत्नी निधी और दो बच्चे कृष्णा और शान्वी हैं। राजाबाबू की जिंदगी उस वक्त तूफान आ गया जब उन्होंने ट्रेन की चपेट में आकर अपना बायां पैर गवां दिया।

नई दिल्ली। गाजियाबाद के रहने वाले राजाबाबू देश के ऐसे सिस्टम से हारते हुए नजर आ रहे हैं, जहां पर असली प्रतिभा को मौका नहीं दिया जाता है। जीं हां, एक वक्त में अपने हौसलों के दम पर खेल के मैदान में परचम लहराने वाले राजाबाबू अब अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए ई-रिक्शा चला रहे हैं। बोल्ड ऑफ डिसेबल्ड क्रिकेट एसोसियेशन के कप्तान रह चुके राजाबाबू की काबिलियत को ये समाज पहचान नहीं पाया और आज यह इंसान मजबूरी में अपने सपनो का बलिदान दे रहा है। एक समय था जब राजाबाबू व्हीलचेयर से ही धौनी की तरह हेलीकॉप्टर शॉट मारा करते थे। जानकारी के लिए बता दें कि राजाबाबू एक मान्यता प्राप्त कप्तान रह चुके हैं। साल 2017 में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खेले गए ‘हौसलों की उड़ान’ के मैच के दौरान 20 बॉल में 67 रन की तूफानी पारी खेलकर दिल्ली की टीम को हराया था।

 

1997 में हुए हादसे ने छीन लिया पैर

राजबाबू मूल रूप से जालौन के रहने वाले हैं। उनके परिवार में पत्नी निधी और दो बच्चे कृष्णा और शान्वी हैं। राजाबाबू की जिंदगी उस वक्त तूफान आ गया जब उन्होंने ट्रेन की चपेट में आकर अपना बायां पैर गवां दिया। दरअसल, साल 1997 में राजाबाबू ने ट्रेन की चपेट में आने के चलते अपना बायां पैर गवां दिया था। उस वक्त उनकी उम्र 7 साल की थी। जिंदगी में इतनी सारी परेशानियां आने के बावजूद भी उन्होंने हौसला बनाए रखा और अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलना सीखा। धीरे-धीरे उनकी रुचि क्रिकेट में बढ़ती चली गई। इसके बाद वो साल 2013 तक वह क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलते रहे। उन्होंने अपने बेहतर खेल से लगातार क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी। 23 दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन के डायरेक्टर ने खेल से प्रभावित होकर उन्हें डीसीए के लिए खेलने का निमंत्रण भेजा था। 2015 में उन्हें उत्तराखंड में बेस्ट प्लेयर ऑवर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें यूपी की दिव्यांग टीम का कप्तान बनाया गया।

2022 में मध्य प्रदेश के लिए शुरू किया खेलना

2016 में उन्होंने यूपी और गुजरात में कई सारे ऑवर्ड जीते। साल 2021 में बिहार सरकार ने उनके क्रिकेट में दिए गए योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया। राजाबाबू का कहना है कि प्रोफेशनल क्रिकेट न खेल पाने की वजह से उनके घर का खर्च नहीं चल रहा था।
ऐसे में ई-रिक्शा चलाकर घर का खर्च चल रहा था। साल 2022 में एक फिर मध्यप्रदेश के लिए व्हीलचेयर क्रिकेट खेलने का फैसला किया, लेकिन कोरोना की वजह से कुछ ही मैच हो पाए। बाकी के मैचों को शेड्यूल कर दिया गया।

बीसीसीआई ने बनाई है कमेटी का किया है गठन

बीसीसीआई ने इस साल अप्रैल महीने में घोषणा की कि वह डिसेबल्ड क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया कमेटी का गठन करेंगे। जो दिव्यांग खिलाड़ियों का ध्यान रखेगी। साथ हर राज्य में प्रत्येक साल क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन करेंगे। बीसीसीआई ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि वह ऐसे खिलाड़ियों को फाइनेंशियली और मानसिक रूप से मजबूत करेंगे। जिससे आगे चल कर ये खिलाड़ी इंडिया के लिए खेल सकें।