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Pakistan: पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी, आर्थिक अस्थिरता और राजनीतिक संकट के मुहाने पर खड़ा मुल्क, बेखबर शहबाज को कोई गम नहीं

Pakistan: उधर, वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के केवल 2.2 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि पहले यह 6 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो एक बहुत बड़ा अंतर है। पाकिस्तान की साप्ताहिक मुद्रास्फीति/सीपीआई 27.13 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके अलावा पाकिस्तान का कुल विदेशी भंडार 13.25 अरब अमेरिकी डॉलर है।

नई दिल्ली। पहले नवाज, फिर इमरान और अब शहबाज, चौंकिए मत साहब, बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप, वहां महज़ रहनुमा ही बदले जाते हैं, जनता की दुर्दशा नहीं। अब अगर आपको जम्हूरियत के कायदे का तनिक भी इल्म होगा तो आप कहेंगे कि अगर जनता की दुर्दशा जस की तस बनी रहती है, तो इस जम्हूरियत का अर्थ ही क्या है। अब इस जम्हूरियत के बारे में भी क्या ही कहें साहब आप तो बस इतना जान लीजिए कि 1947 से लेकर अब तक वहां पर कोई भी हुकूमत अपना कार्यकाल मुकम्मल नहीं कर पाई। समझें आप हम किसकी बात कर रहे हैं। वैसे तो आप समझ ही गए होंगे, लेकिन फिर भी आपकी दिल की तसल्ली के लिए बता देते हैं कि हम पाकिस्तान की बात कर रहे हैं। वही पाकिस्तान जहां सत्तापक्ष से लेकर विपक्षी दलों के सियासी सूरमाओं के दिन कुछ अच्छे नहीं चल रहे हैं। बीते शुक्रवार को ही तो पीटीआई नेता व पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का संसद से पत्ता कटा है। उधर, शहबाज शरीफ के भी दिन कुछ दुरूस्त नहीं चल रहे हैं।

shahbaj sareef

पाकिस्तान एक नहीं, बल्कि सभी मोर्चों पर आखिरी सांसें गिनने में मसरूफ हो चुका है। राजनीति, सामरिक और अर्थव्यवस्था से लेकर मुल्क की स्थिति बदहाल हो चुकी है। बात अगर अर्थव्यवस्था की करें तो हुकूमत के बदलने के बावजूद भी बदहाली का सिलसिला बदस्तूर जारी है। नवाज, इमरान और शहबाज शरीफ के कार्यकाल में भी अर्थव्यवस्था की हालत माली है। अर्थव्यवस्था की बदहाल स्थिति को ध्यान में रखते हुए ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने देश की बाहरी तरलता और फंडिंग की स्थिति में और गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का हवाला देते हुए शुक्रवार को पाकिस्तान की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘बी-‘ से एक पायदान घटाकर ‘सीसीसी+’ कर दिया है।

बता दें कि कुछ दिनों पहले विख्यात अर्थशास्त्री स्टीव हैंके ने कहा था प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष पाकिस्तान के सॉवरेन बांड के मूल्य में 60%  से भी अधिक की गिरावट दर्ज की गई है और यह जानकर मुझे आश्चर्य नहीं हो रहा है। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि फिच ही नहीं मूडीज ने भी पाकिस्तान को डाउनग्रेड किया। 6 अक्टूबर को, हाल के 7 वर्षों में पहली बार, मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने पाकिस्तान की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को B3 से एक पायदान नीचे Caa1 कर दिया, जो कि एक डिफ़ॉल्ट के करीब है।

उधर, वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के केवल 2.2 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि पहले यह 6 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो एक बहुत बड़ा अंतर है। पाकिस्तान की साप्ताहिक मुद्रास्फीति/सीपीआई 27.13 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके अलावा पाकिस्तान का कुल विदेशी भंडार 13.25 अरब अमेरिकी डॉलर है; जबकि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास केवल $7.59 बिलियन अमरीकी डालर है।

पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज और देनदारी करीब 130.2 अरब डॉलर है, जिसमें चीन से 30 अरब डॉलर का कर्ज भी शामिल है। कर्ज के भुगतान और व्यापार घाटे को पाटने के लिए अरबों डॉलर की व्यवस्था करने के लिए नकदी की कमी से जूझ रहे देश के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अगले महीने चीन की एक महत्वपूर्ण यात्रा पर जाने की संभावना है। सरकारी आय का एक बड़ा स्रोत प्रेषण है जो जुलाई-सितंबर 2022 के दौरान गिरना जारी रहा।

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विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को जून में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में $33.2 बिलियन के लक्ष्य के मुकाबले $31 बिलियन से अधिक प्रेषण की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वैश्विक बाजार पाकिस्तान के बारे में “चिड़चिड़े” थे, क्योंकि बाढ़ के बाद अर्थव्यवस्था को कम से कम $ 20-25 बिलियन का नुकसान हुआ था, जो $ 30-35 बिलियन तक जा सकता था। बहरहाल, उपरोक्त आंकड़ों ने इस बात की तस्दीक कर दी है कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी पाकिस्तान की बदहाल स्थिति कहीं से भी दुरूस्त होती हुई नजर नहीं आ रही है। अब ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में पाकिस्तान के वजीर ए आजम  क्य कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।