पेरिस। आखिरकार यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच कोरोना वायरस रिकवरी पैकेज की राशि को लेकर एक सहमति बन गई है। कई दौर की लंबी बातचीत और असहमतियों के बाद ये सहमति बनी है। इसके तहत 27 देशों के इस संगठन ने 750 अरब यूरो यानी 64,115 अरब रुपए का राहत कोष जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस कोष की मदद से ही कोरोना वायरस के चलते जिन देशों की अर्थव्यवस्था बुरी हालत में हैं उन्हें अनुदान और कर्ज दिए जाएंगे। इस सम्मेलन के चेयरमैन चार्ल्स मिशेल ने कहा है कि ये यूरोप के लिए एक ‘अहम लम्हा’ था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते के केंद्र में 390 अरब यूरो का अनुदान है जो महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों को दिया जाएगा। समाचार न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक इस बातचीत के दौरान कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों और कमजोर अर्थव्यवस्था वाले यूरोपीय देशों के बीच एक दरार सी पैदा होती हुई भी दिखी थी। हालांकि आपसी बातचीत और सहयोग के जरिए सभी देशों के नेताओं को मना लिया गया है। इसी बैठक में यूरोपीय संघ के अगले सात सालों के बजट पर भी सहमति बन गई है जो कि 1.1 ट्रिलियन यूरो टी किया गया है।
#BREAKING EU leaders adopt #coronavirus rescue package pic.twitter.com/F9va0VlCSe
— AFP news agency (@AFP) July 21, 2020
सभी देश हैं मुश्किल में, सहमति बनने में लगी मेहनत
बता दें कि यूरोप के सभी देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं। बीते शुक्रवार शुरु होने वाले इस सम्मेलन में 90 घंटे की बातचीत हुई। साल 2000 में फ्रांस के नाइस शहर में पांच दिनों तक चलने वाली बैठक के बाद ये यूरोपीय संघ के इतिहास की सबसे लंबी बैठक है। यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने 27 देशों के नेताओं के बीच सहमति बनने के बाद मंगलवार को ट्वीट किया जिसमें सिर्फ एक शब्द था– डील।
Deal!
— Charles Michel (@eucopresident) July 21, 2020
कुछ बातों पर थी असहमति
कई दिनों तक चली इस बातचीत के दौरान नेताओं के बीच बातचीत के दौरान आक्रामकता भी नजर आई। स्वघोषित कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देश स्वीडन, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड समेत फिनलैंड ने 500 बिलियन यूरो को अनुदान के रूप में देने का विरोध किया। महामारी से प्रभावित देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने के प्रति सजग थे। लेकिन कमजोर अर्थव्यवस्थाओं वाले देश रिकवरी प्लान की राशि को लेकर चिंतित थे।
EU leaders emerge from a marathon four-day and four-night summit to celebrate what they boast is a historic rescue plan for economies left shattered by the #coronavirus epidemic https://t.co/MCPZl9KqiG pic.twitter.com/KAjY7svDFq
— AFP news agency (@AFP) July 21, 2020
इसके अलावा अन्य सदस्य देश जैसे स्पेन और इटली 400 बिलियन यूरो से कम खर्च नहीं करना चाहते थे। इस समूह ने ही असल में डेनमार्क के राष्ट्रपति मार्क रुटे के नेतृत्व में 375 बिलियन यूरो की सीमा तय की थी।