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50 अरब यूरो का Covid-19 राहत कोष बनाने को राजी हो गए यूरोपीय संघ के नेता

आखिरकार यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच कोरोना वायरस रिकवरी पैकेज की राशि को लेकर एक सहमति बन गई है। कई दौर की लंबी बातचीत और असहमतियों के बाद ये सहमति बनी है।

पेरिस। आखिरकार यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच कोरोना वायरस रिकवरी पैकेज की राशि को लेकर एक सहमति बन गई है। कई दौर की लंबी बातचीत और असहमतियों के बाद ये सहमति बनी है। इसके तहत 27 देशों के इस संगठन ने 750 अरब यूरो यानी 64,115 अरब रुपए का राहत कोष जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस कोष की मदद से ही कोरोना वायरस के चलते जिन देशों की अर्थव्यवस्था बुरी हालत में हैं उन्हें अनुदान और कर्ज दिए जाएंगे। इस सम्मेलन के चेयरमैन चार्ल्स मिशेल ने कहा है कि ये यूरोप के लिए एक ‘अहम लम्हा’ था।

European Union

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते के केंद्र में 390 अरब यूरो का अनुदान है जो महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों को दिया जाएगा। समाचार न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक इस बातचीत के दौरान कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों और कमजोर अर्थव्यवस्था वाले यूरोपीय देशों के बीच एक दरार सी पैदा होती हुई भी दिखी थी। हालांकि आपसी बातचीत और सहयोग के जरिए सभी देशों के नेताओं को मना लिया गया है। इसी बैठक में यूरोपीय संघ के अगले सात सालों के बजट पर भी सहमति बन गई है जो कि 1.1 ट्रिलियन यूरो टी किया गया है।

सभी देश हैं मुश्किल में, सहमति बनने में लगी मेहनत

बता दें कि यूरोप के सभी देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं। बीते शुक्रवार शुरु होने वाले इस सम्मेलन में 90 घंटे की बातचीत हुई। साल 2000 में फ्रांस के नाइस शहर में पांच दिनों तक चलने वाली बैठक के बाद ये यूरोपीय संघ के इतिहास की सबसे लंबी बैठक है। यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने 27 देशों के नेताओं के बीच सहमति बनने के बाद मंगलवार को ट्वीट किया जिसमें सिर्फ एक शब्द था– डील।

कुछ बातों पर थी असहमति

कई दिनों तक चली इस बातचीत के दौरान नेताओं के बीच बातचीत के दौरान आक्रामकता भी नजर आई। स्वघोषित कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देश स्वीडन, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड समेत फिनलैंड ने 500 बिलियन यूरो को अनुदान के रूप में देने का विरोध किया। महामारी से प्रभावित देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने के प्रति सजग थे। लेकिन कमजोर अर्थव्यवस्थाओं वाले देश रिकवरी प्लान की राशि को लेकर चिंतित थे।

इसके अलावा अन्य सदस्य देश जैसे स्पेन और इटली 400 बिलियन यूरो से कम खर्च नहीं करना चाहते थे। इस समूह ने ही असल में डेनमार्क के राष्ट्रपति मार्क रुटे के नेतृत्व में 375 बिलियन यूरो की सीमा तय की थी।