नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनोंं देशों के बीच तनातनी जारी है। एक तरफ जहां चीन भारत के साथ बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने की बात कर रहा है। वहीं दूसरी ओर वह लगातार गीदड़भभकी देने से बाज नहीं आ रहा है। बता दें कि सीमा विवाद के बाद से मोदी सरकार के सख्त रवैया के चलते ड्रैगन पूरी तरह से घबराया हुआ है। सीमा विवाद पर भारत को अमेरिका,रूस समेत कई देशों का साथ मिलने पर चीन अलग-थलग पड़ता दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं चीन के कुकृत्यों के खिलाफ अब दुनियाभर से आवाज उठ रही है।
इस बीच लद्दाख में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत ने एलएसी पर सख्ती बढ़ा दी, जिसके बाद चीन अब गीदड़भभकी पर उतर आया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने धमकी भरे लहजे में लिखा है कि भारत जानता है कि चीन के साथ जंग नहीं की जा सकती है, क्योंकि नई दिल्ली को पता है कि अब अगर युद्ध हुआ तो उसका हाल 1962 की लड़ाई से भी बुरा हाल होगा।
ग्लोबल टाइम्स ने एक चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा कि गलवान घाटी में सीमा संघर्ष के बाद भारत के भीतर चीन के खिलाफ राष्ट्रवाद और शत्रुता तेजी से बढ़ रही है। जबकि चीनी विश्लेषकों और भारत के अंदर भी कुछ लोगों ने चेतावनी दी थी कि नई दिल्ली को घर में राष्ट्रवाद को शांत करना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स में रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट में एक चीनी विश्लेषक ने कहा कि अगर नए सिरे से फिर युद्ध होता है तो चीन के साथ 1962 के सीमा विवाद के बाद भारत और अधिक अपमानित होगा, यदि वह घर में चीन विरोधी भावना को नियंत्रित नहीं कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि उनकी सरकार ने सशस्त्र बलों को कोई भी आवश्यक एक्शन लेने की पूरी आज़ादी दी है। हालांकि पीएम मोदी तनाव को कम करने की कोशिश करते हुए भी दिखाई दिए।
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 15 जून को हुई हिंसक झड़प में दोनों ओर से कई सैनिकों की जान गई थी। चीन के पापपूर्ण कृत्य का करारा जवाब देते हुए भारत के पराक्रमी सैनिकों ने चीन के 43 से अधिक सैनिकों को ढेर कर दिया था। दूसरी तरफ भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे।