वॉशिंगटन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की खरी-खरी सुनने के बाद भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने से रोकने में जुटा अमेरिका बैकफुट पर आ गया है। अमेरिका ने जयशंकर की ओर से दिए गए उदाहरण के बाद कहा है कि रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारत किसी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी से वर्चुअल मीटिंग के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि भारत को रूस से तेल खरीदने की वजह से आगे चलकर दिक्कत हो सकती है। टू प्लस टू की बातचीत के बाद मीडिया से बात करते हुए जयशंकर ने अमेरिका को रूसी कच्चे तेल के मसले पर आईना दिखा दिया था। जयशंकर ने कहा था कि भारत एक महीने के लिए जितना कच्चा तेल रूस से खरीदता है, उससे ज्यादा तो यूरोप के देश एक दिन के दोपहर तक खरीद लेते हैं।
जयशंकर ने आगे कहा कि अगर आप रूस से भारत की ऊर्जा की खरीद को देख रहे हैं, तो आपका ध्यान पहले यूरोप पर होना चाहिए। उन्होंने मीडिया से कहा कि भारत अपनी ऊर्जा की सुरक्षा के लिए कई जगह से उत्पाद खरीदता है। अगर आंकड़ों को देखें, तो साफ है कि एक महीने की हमारी खरीदारी यूरोपीय देशों के दोपहर की तुलना में काफी कम होगी। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष पर हमने अपनी स्थिति साफ रखी है। हम बातचीत और कूटनीति के लिए तैयार हैं। भारत हिंसा को तत्काल खत्म करवाना चाहता है और इसके लिए किसी भी तरह से योगदान करने के लिए तैयार है। बता दें कि यही बात पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से बातचीत के दौरान भी कल कही थी।
जयशंकर की इस खरी-खरी बात के बाद व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन पास्की ने कहा कि भारत ने किसी प्रतिबंध का उल्लंघन अब तक नहीं किया है। जेन पास्की ने कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदना प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आता। एक अन्य सवाल पर पास्की ने कहा कि रूस से भारत जो एस-400 मिसाइल रोधी सिस्टम ले रहा है, उसके मद्देनजर अब तक काटसा कानून के तहत भारत पर किसी तरह के अमेरिकी प्रतिबंध का मसला भी सामने नहीं है। बता दें कि अमेरिका ने अपने सहयोगी देश तुर्की पर काटसा के तहत प्रतिबंध लगा रखा है।