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America Vs Russia : हथियारों की होड़ में अमेरिका से बहुत आगे है रूस, कई गुना अधिक है विनाशक हथियार

America Vs Russia : रूस के पास में आरडीएस 4 नाम का टैक्टिकल परमाणु हथियार काफी संख्‍या में है। खास बात ये है कि इसको लेकर मास्‍को में एक स्मारक तक है, जो ये बताने के लिए काफी है कि ये हथियार रूस के लिए कितना खास है।

मॉस्को। यूक्रेन और रूस एक लंबे वक्त से युद्ध क्षेत्र में आमने-सामने हैं। लगातार दोनों देशों के बीच सेन युद्ध चल रहा है। एक तरफ पुतिन हैं जो हार मानने को तैयार नहीं है और दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की हैं जो लगातार रूसी ताकत से लड़ने के लिए अपने सैनिकों को तैयार कर रहे हैं। इस बीच यूक्रेन से युद्ध में लगातार रूस द्वारा उस पर परमाणु हमला करने की आशंका बनी हुई है। हालांकि नाटो के इसको लेकर रूस को कड़ी चेतावनी देने के बाद मास्‍को के रवैये में कुछ नरमी जरूर आती दिखाई दी है। ऐसा राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के बयानों से भी स्‍पष्‍ट हो रहा है। हालांकि, ये भी स्‍पष्‍ट है कि विश्‍व में कोई नहीं चाहता है कि दुनिया इस तरह की त्रासदी को दोबारा देखे। वहीं दूसरी तरफ इस दौरान टैक्टिकल परमाणु हथियारों का भी बड़ा शोर रहा है। ये हथियार भले ही शीतयुद्ध से पहले के हों लेकिन एक सच्‍चाई ये भी है कि रूस ने बड़ी संख्‍या में इस तरह के हथियार बनाए हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि ये किस तरह के हथियार होते हैं। जब दोनों सेनाएं आमने-सामने होंगी तो लड़ाई सिर्फ बातों से नहीं बल्कि हत्यारों से होगी इसीलिए हथियार दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण पहलू साबित होंगे।

लेकिन इनकी पहचान कुछ गुणों के आधार की जाती है। इसमें शामिल है इनकी हमला करने की क्षमता, इनका आकार आदि। इन्हें गैर रणनीतिक हथियार के नाम से भी पहचाना जाता है। इस तरह के हथियारों को मुख्‍य रूप से उत्पादन, बुनियादी ढांचा, परिवहन, संचार तंत्र को लक्ष्‍य बनाने के मकसद से ही तैयार किया जाता है। ये भी कहा जा सकता है कि सीमित दायरे में ये लक्ष्‍यों को पाने के लिए तैयार किए जाते हैं। इनसे युद्ध को अपने हक में करने में काफी मदद मिलती है। इनकी क्षमता कम होती है और इनके धमाके से निकलने वाली ऊर्जा भी कम होती है। लेकिन इससे दुश्‍मन को नुकसान काफी होता है।

पुतिन ने बनाया है ऐसे हथियारों का स्‍मारक

रूस के पास में आरडीएस 4 नाम का टैक्टिकल परमाणु हथियार काफी संख्‍या में है। खास बात ये है कि इसको लेकर मास्‍को में एक स्मारक तक है, जो ये बताने के लिए काफी है कि ये हथियार रूस के लिए कितना खास है। आकार की बात करें तो ये पारंपरिक बमों की तुलना में कुछ बड़े जरूर होते हैं। इनसे रेडियोएक्टिव रेडिएशन फैलता है जो धमाके के बाद भी नुकसान पहुंचाता है।

इनको विमान और तोप से दागा जा सकता है। ये किसी बैलेस्टिक मिसाइल की बराबर रेंज के नहीं होते हैं। अमेरिका की ही बात करें तो उसके पास इस तरह के हथियारों की संख्‍या करीब 230 तक है। इसमें 100 बी61 बम भी शामिल हैं। इनको विमानों से दागा जा सकता है। ये यूरोप में मौजूद भी हैं। वहीं रूस के पास इस तरह के करीब 1-2 हजार हथियार मोजूद हैं। 2018 में ट्रंप प्रशासन ने गैर रणनीतिक परमाणु क्रूज मिसाइल बनाने की घोषणा की थी। गौरतलब है कि हाल ही के समय में हालांकि पुतिन के यूक्रेन के प्रति रुख में नरमी देखी गई है। लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक कोई राहत वाली खबर नहीं आई है। क्रीमिया पुल पर हुए हमले के बाद जिस तरह से मिसाइलें दागी गई थी उसको लेकर भी दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ।