वॉशिंगटन। कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के ओपेक देशों और रूस के फैसले से सऊदी अरब और अमेरिका के रिश्तों में गंभीर खटास आ गई है। अमेरिका ओपेक+ देशों के इस फैसले से भड़क गया है। उसने संगठन का नेतृत्व करने वाले सऊदी अरब पर निशाना साधा है। अमेरिका ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती को बड़ी गलती करार देते हुए कहा है कि ये रूस का एक तरह से समर्थन है। बीते दिनों ओपेक प्लस देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में हर रोज 20 लाख बैरल कटौती का फैसला किया था। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ज्या पियरे ने मंगलवार को कहा कि पिछले हफ्ते ओपेक प्लस देशों का फैसला रूस के पक्ष में रहा। ये अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों के खिलाफ है।
पियरे ने कहा कि कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के फैसले से गरीब और कम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचेगी। उन्होंने फैसले को गलत बताया और कहा कि इसके गंभीर नतीजे भी हो सकते हैं। इससे पहले सोमवार को खबर आई थी कि तेल उत्पादन कटौती के बाद अमेरिका अब सऊदी अरब से अपने रिश्तों का फिर से मूल्यांकन करेगा। सऊदी अरब अब तक अमेरिका का खास दोस्त माना जाता रहा है। सऊदी को अमेरिका हर तरह की सैनिक सहायता देता रहा है। खाड़ी युद्ध में भी सऊदी अरब ने अमेरिका की भरपूर मदद की थी।
दुनिया में कच्चे तेल का सबसे ज्यादा उत्पादन ओपेक प्लस देश करते हैं। ओपेक में 13 देश हैं। जबकि, रूस और 10 अन्य देश इससे जुड़कर ओपेक प्लस का दर्जा पाते हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों को ओपेक देशों से ही कच्चे तेल की सप्लाई होती है। भारत और चीन भी सऊदी अरब से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदते हैं। यूक्रेन की जंग के बाद से भारत ने रूस से भी कच्चे तेल की काफी खरीदारी की है। इस पर भी अमेरिका की त्योरियां तनी थीं, लेकिन भारत ने साफ कर दिया था कि वो अपने नागरिकों के हित के लिए जहां से बेहतर कीमत मिले, वहीं से कच्चा तेल खरीदेगा।