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Economic Crisis: चीन के कर्ज जाल में फंसे श्रीलंका की माली हालत और खराब, दो महीने से जहाज खड़ा लेकिन खरीद नहीं पा रहा पेट्रोल

खबर ये भी है कि जरूरी चीजों की कमी के बीच चीन की ओर से भेजे गए सूखे राशन को बांटने से विदेश सेवा अधिकारी भी नाराज हैं। उनका कहना है कि विदेशी अफसरों को प्रभावित करने के लिए चीन अपनी तरफ से सूखा राशन भेजने की नई चाल चल रहा है।

कोलंबो। चीन के कर्ज जाल में फंसे श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी डांवाडोल है कि वो पेट्रोल-डीजल तक खरीद नहीं पा रहा है। कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के पैसे उसके पास नहीं हैं। श्रीलंका सरकार की ओर से बताया गया है कि उसके समुद्री इलाके में करीब 2 महीने से पेट्रोल लदा जहाज खड़ा है, लेकिन वो पेट्रोल खरीद नहीं पा रहा है। बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकरा ने संसद को बताया कि जहाज 28 मार्च से आया हुआ है, लेकिन पेट्रोल की कीमत चुकाने के लिए सरकार के पास डॉलर नहीं हैं। इससे पहले भारत ने कई बार श्रीलंका को पेट्रोल-डीजल और जरूरी सामान की आपूर्ति की थी।

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विजेसेकरा ने संसद को बताया कि सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए वो नोट छपवाने जा रहे हैं। उन्होंने पेट्रोल लदे जहाज के बारे में बताया कि शिपिंग कंपनी ने पिछले दो भुगतान न होने तक जहाज को छोड़ने से इनकार कर दिया है। जितना पेट्रोल देश में है, उसे जरूरी सेवाओं के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी स्टेशनों पर पेट्रोल भेजने में अगले सोमवार तक का वक्त लगेगा। जून में श्रीलंका को ईंधन खरीदने के लिए 53 करोड़ डॉलर चाहिए। पिछले ईंधन आयात के लिए उसे पहले ही 70 करोड़ डॉलर चुकाने हैं।

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इस बीच, खबर ये भी है कि जरूरी चीजों की कमी के बीच चीन की ओर से भेजे गए सूखे राशन को बांटने से विदेश सेवा अधिकारी भी नाराज हैं। उनका कहना है कि विदेशी अफसरों को प्रभावित करने के लिए चीन अपनी तरफ से सूखा राशन भेजने की नई चाल चल रहा है। श्रीलंका के अखबारों के मुताबिक गांवों में चीन की सरकार की तरफ से बांटे जा रहे राशन के थैलों पर वहां की कम्युनिस्ट पार्टी का निशान छपा है। इसे लेकर जनता में और आक्रोश फैल रहा है।