काबुल। अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने वाला तालिबान खून बहाने के खेल में जुटा हुआ है। ताजा घटना में उसने एक पत्रकार के परिजन और एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी। इससे पहले तालिबान ने काबुल, जलालाबाद और कई अन्य जगह जबरदस्त फायरिंग की घटनाएं की थीं। इससे दर्जनों लोग मारे गए थे। सिर्फ काबुल की ही बात करें, तो वहां अब तक 50 के करीब लोगों के तालिबानी हमले में मारे जाने की आशंका है। तालिबान की ओर से की जा रही अमानवीयता की खबरें भी पूरी तरह सामने नहीं आ रही हैं। बताया जा रहा है कि घटनाओं की रिपोर्टिंग कर रहे मीडिया के कई लोगों को भी तालिबान का निशाना बनना पड़ा है। जर्मनी के मीडिया संस्थान डायशे वैले के डायरेक्टर जनरल पीटर लिमबर्ग के मुताबिक उनके संस्थान के एक पत्रकार को काबुल में तलाश करते हुए तालिबान घर पहुंच गया। वहां पत्रकार नहीं मिला। इसके बाद तालिबान ने पत्रकार के परिवार के दो लोगों को गोली मार दी। इसमें से एक की मौत हो गई है। पत्रकार के परिवार के ज्यादातर लोग पहले ही घर छोड़कर जा चुके थे।
लिमबर्ग ने कहा कि अफगानिस्तान में उनके संस्थान के कर्मचारी और उनके परिवार खतरे में हैं। पिछले कुछ दिनों में डायशे वैले के तीन पत्रकारों के घर तालिबान पहुंच चुके हैं। उन्होंने एक निजी चैनल के पत्रकार को अगवा भी कर लिया है। इससे पहले तालिबान ने पक्तिया के एक रेडियो स्टेशन प्रमुख और जर्मनी के डाई जीट अखबार के कर्मचारी की भी हत्या कर दी थी।
भारत के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी भी तालिबान का शिकार बने थे। एक अन्य घटना में तालिबान ने बदगीस प्रांत में पुलिस प्रमुख हाजी मुल्ला की जान ले ली। उन्होंने तालिबान के सामने सरेंडर किया था। जबकि, खोस्त में खुद के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन के बाद तालिबान ने वहां कर्फ्यू लगाया है। खोस्त में भी घर-घर जाकर तालिबान तलाशी ले रहे हैं। खोस्त के लोग 1990 में भी तालिबान के खिलाफ रहे थे।