न्यूयॉर्क। यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और उसके सहयोगी देश प्रस्ताव लाए। इस प्रस्ताव के खिलाफ रूस ने वीटो कर दिया। जबकि, 11 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। वहीं, भारत, चीन और यूएई ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वोटिंग में हिस्सा न लेने के बारे में संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कई कारण बताए हैं। उन्होंने बयान जारी कर यूक्रेन में जारी हिंसा पर अफसोस जताते हुए इसे रोकने का आह्वान किया है। भारत का ये रुख काफी अहम है। रूस पुराना दोस्त है और अमेरिका से भी भारत के रिश्ते बीते कुछ साल में अच्छे हुए हैं।
सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन स्थायी हैं और वीटो कर सकते हैं। वहीं, सर्कुलेशन के जरिए भारत बीते साल सुरक्षा परिषद का सदस्य बना था। अब आपको बताते हैं कि वोटिंग में हिस्सा न लेने की क्या वजहें भारत के दूत तिरुमूर्ति ने बताई हैं। तिरुमूर्ति ने ट्वीट कर ये कारण गिनाए हैं। उन्होंने बताया है कि भारत का मानना है कि बातचीत ही किसी मसले के समाधान तक पहुंचने और विवादों को सुलझाने का एक ही रास्ता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में रूस के हमले से हुई तबाही से भारत चिंतित है। भारत को अफसोस है कि कूटनीति का रास्ता बहुत जल्दी छोड़ दिया गया है।
In UN Security Council meeting on #Ukraine today, India abstained on the vote on draft resolution.
Our Explanation of Vote ⤵️ pic.twitter.com/w0yQf5h2wr
— PR/Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) February 25, 2022
भारतीय दूत ने कहा कि हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और दुश्मनी को तुरंत खत्म कराने के लिए सभी कोशिश की जाएं। उन्होंने ये भी कहा कि इंसान की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि रूस और यूक्रेन से भारत कूटनीति के रास्ते पर लौटने की अपील कर रहा है। उधर, वोटिंग से अलग रहने वाले चीन के दूत झांग जून ने कहा कि एक देश की सुरक्षा दूसरे देशों की सुरक्षा को कम करने की कीमत पर नहीं आ सकती। उन्होंने कहा कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सभी सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।