नई दिल्ली। पत्रकारिता के नाम पर देश में किस तरह कुछ संस्थान चीन से अवैध फंडिंग हासिल कर देश विरोधी और प्रो चाइनीज प्रोपेगेंडा फैलाने का काम करते हैं न्यूजक्लिक का केस इसकी एक बड़ी बानगी है। साल 2021 में यानि अब से दो साल पहले ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रोपेगेंडा न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक और उसके प्रमोटरों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी। उस वक्त ईडी की जांच में ये खुलासा हुआ था कि इस न्यूज पोर्टल ने डायरेक्ट टैक्स फॉरेन इन्वेस्टमेंट के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए तीन साल की अवधि में भारत के पड़ोसी मुल्क चीन से 38 करोड़ रुपए लिए थे तब बीजेपी ने भी न्यूजक्लिक पर देश के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा था कि ये भारत को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
इसी बीच अब अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस मामले में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। इसके मुताबिक ईडी की जांच में ये पता चला कि चीन से मिलने वाली अवैध फंडिंग भारत में अर्बन नक्सल और यूएपीए के आरोपी गौतम नवलखा और एक सीपीएम पदाधिकारी को भेजी गई थी। इसके बाद ये पैसा सर्कुलेट होकर न्यूज पोर्टल को भेजा गया। इस पूरे गठजोड़ का नेतृत्व अमेरिका के तकनीकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम कर रहे थे जिन्होंने भारत समेत दुनिया भर के मीडिया में एंटी इंडिया चाइनीज नेरेटिव फैलाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से मिलीभगत की थी।
This particular network is led through a USA tech businessman Neville Roy Singham who directly colludes with CCP aiming to spread Chinese narrative in global media.
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) August 6, 2023
इस खबर में हम आपको इन्हीं नेविल रॉय सिंघम के बारे में बताएंगे जो चीन की गोद में बैठकर भारत विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने के फाइनेंशियल टूल बने हुए थे। 69 साल के नेविल रॉय सिंघम अमेरिका और ब्रिटेन में वामपंथी विचारधारा के कट्टर समर्थक और वैचारिक प्रसारक माने जाते हैं। यही वजह है कि ये चीन के बड़े खास हैं।शनिवार को जो जांच रिपोर्ट न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी उसके मुताबिक, नेविल वैश्विक स्तर पर चीन की नीतियों को प्रमोट करने और उसे एक महान देश के रूप में दिखाने वाले वामपंथी नेरेटिव के प्रचार को दुनियाभर में बढ़ावा देते हैं। एनवाईटी की इस रिपोर्ट में उन्हें एक ट्रांस-अटलांटिक एक्टिविस्ट के रूप में की गई है जो नो कोल्ड वॉर के साथ-साथ अमेरिका के युद्ध-विरोधी समूह कोड पिंक का एक प्रमुख समर्थक है और जो कभी चीन के अधिकारों के हनन की आलोचना करता था लेकिन वो आज चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हित में बात करता है।
शंघाई में रहने वाले नेविल रॉय सिंघम माकू ग्रुप नाम की एक चीनी मीडिया कंपनी के साथ काम करते हैं जो सीसीपी के विदेशी प्रचार का जिम्मा संभालती है।
रिपोर्ट के अनुसार, सिंघम ने लाखों की फंडिंग अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्थाओं के माध्यम से की जिससे मैसाचुसेट्स में एक उदारवादी थिंक-टैंक, दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल और भारत और ब्राजील में मीडिया संस्थानों को वित्त पोषण में मदद मिली और आप ये समझ सकते हैं कि भारत में वो मीडिया संस्थान कौन सा रहा होगा। 2017 में नेविल रॉय सिंघम ने पूर्व डेमोक्रेटिक राजनीतिक सलाहकार और इराक पर अमेरिकी आक्रमण का विरोध करने के लिए 2002 में स्थापित युद्ध-विरोधी समूह कोड पिंक की सह-संस्थापक जोडी इवांस से शादी की।