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Bangladesh Hindus Under Attack: बांग्लादेश में बार बार हिंदू क्यों बन रहे इस्लामिक कट्टरपंथियों का शिकार

Bangladesh Hindus Under Attack: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाली संस्था AKS के मुताबिक, पिछले 10 सालों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को लगभग 3700 बार हमलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान 1678 मामले धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और हथियारबंद हमलों के सामने आए जबकि घरों और मकानों में तोड़-फोड़ और आगजनी समेत हिंदुओं को निशाना बनाकर लगातार हमले आज भी हो रहे हैं।

नई दिल्ली। पाकिस्तान के जुल्म के खिलाफ भारत की मदद से लड़कर साल 1971 में वजूद में आया बांग्लादेश कभी म्यांमार में रोहिंग्या संकट के समय अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर काफी मुखर था लेकिन बीते कुछ सालों से ये मुल्क अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसक हमलों को लेकर लगातार चर्चाओं में है। बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदुओं को निशाना बनाया गया इस बार वजह थी एक फेसबुक पोस्ट, जिसको लेकर भड़के कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के घरों में शुक्रवार को हमले किए। इस दौरान भीड़ ने एक हिंदू व्यक्ति के घर में आग भी लगा दी। ये भीड़ इस कदर भड़की हुई थी कि इसने उत्पात मचाते हुए मंदिर में पत्थर भी फेंके। ये घटना नराइल के लोहागरा इलाके में हुई। बांग्लादेश में बीते करीबन 2 साल से इस तरह की हिंसक घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है बल्कि कई घटनाओं में तो पैटर्न बिल्कुल एक जैसा ही रहा है।

इससे पहले बीते साल ही दुर्गा पूजा के दौरान बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया था। उस वक्त हालात इतने बिगड़े थे कि खुद बांग्लादेश के गृह मंत्री ने हमलों के पीछे सुनियोजित साजिश का शक जताया था। लेकिन आखिर इस सबके पीछे क्या वजह है ? बांग्लादेश का इतिहास इस बात का गवाह है कि वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए कभी इतना नफरती माहौल नहीं कहा जितना आज है। तो आखिर क्यों साल दर साल बांग्लादेश में हिंदुओं का जीना मुहाल होता जा रहा है, बताएंगे आपको लेकिन इससे पहले बांग्लादेशी हिंदुओं की पीड़ा को आंकडों के जरिए समझने की कोशिश करते हैं।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाली संस्था AKS के मुताबिक, पिछले 10 सालों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को लगभग 3700 बार हमलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान 1678 मामले धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और हथियारबंद हमलों के सामने आए जबकि घरों और मकानों में तोड़-फोड़ और आगजनी समेत हिंदुओं को निशाना बनाकर लगातार हमले आज भी हो रहे हैं। साल 2014 के चुनावों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की जीत के हिंदू समुदाय को निशाना बनाने वाली हिंसक घटनाओं में ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है।10 साल में हुए इन हमलों में हिंदू समुदाय के 11 लोगों की जान गई वहीं 862 लोग जख्मी हुए।

अब अगर इसके मूल कारण पर गौर करें तो जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में तेजी से अपने पैर पसारे हैं और सरकार के सेकुलर छवि बनाने की कोशिश में लिए गए कई फैसलों को ये संगठन दबाव बनाकर बदलवाने में सफल रहे हैं। बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में इनका प्रभाव बढ़ने से अल्पसंख्यकों के लिए खतरा भी बढ़ता ही गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना विपक्षी पार्टी बीएनपी के करीबी माने जाने वाले इन कट्टरपंथी संगठनों पर कार्रवाई की बात तो करती हैं लेकिन फिर बहुसंख्यक मुस्लिम वोटबैंक की फिक्र भी उन्हें सताने लगती है। यही वजह है कि वहां के हिंदू एक के बाद एक हिंसक घटनाओं का शिकार होते जा रहे हैं।