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Action: इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के लिए तय होंगे नए मानक, आग लगने और फटने की घटनाओं के बाद हुई थी जांच

सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने विशेषज्ञों से बात करने के बाद मानक बनाने का फैसला किया है। विशेषज्ञों ने बताया कि बैटरी की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है। इसकी वजह मानक न होना है। भारत में अभी बैटरी की गुणवत्ता और मानक के परीक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है।

नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने और बैटरी ब्लास्ट से शख्स की मौत के बाद अब केंद्र का परिवहन मंत्रालय जल्दी ही बैटरी के लिए मानक तय करने वाली है। सूत्रों के मुताबिक इन मानकों का पालन सभी बैटरी बनाने वालों और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को करना होगा। इस साल अब तक 38 से ज्यादा घटनाएं इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की हो चुकी हैं। इसके बाद परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद कई कंपनियों ने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर वापस मंगाने का फैसला भी किया था। कुल मिलाकर 7000 गाड़ियां इन कंपनियों ने अब तक वापस ली हैं।

सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने विशेषज्ञों से बात करने के बाद मानक बनाने का फैसला किया है। विशेषज्ञों ने बताया कि बैटरी की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है। इसकी वजह मानक न होना है। भारत में अभी बैटरी की गुणवत्ता और मानक के परीक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। बैटरी निर्माता या तो जांच के लिए इन्हें ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन या इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी के पास भेजते हैं। ये भी बाद में पता नहीं चल पाता है कि परीक्षण के लिए भेजी गई बैटरी अगर जांच में सही पाई जाती है, तो उसके मुताबिक ही बाकी बैटरियां भी बनती हैं।

file photo of e scooter battery

ऐसे में अब बैटरी बनते वक्त ही रैंडम तरीके से बैटरी की जांच का मानक तय हो सकता है। अन्य देशों में बैटरी के परीक्षण का नया मानक आया है। इसमें ओवर चार्जिंग, झटका सहने, मैकेनिकल ड्रॉप, शॉर्ट सर्किट प्रोटेक्शन, तापमान और थर्मल शॉक वगैरा देखा जाता है। सरकार इसे ही मानक बना सकती है। इसकी वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत में कंपनियां इजाफा भी कर सकती हैं।