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करिए इंतजार, देशवासियों के लिए हो गई है कोरोना की वैक्सीन तैयार, इस महीने तक होगी उपलब्ध…

फिलहाल इसके अलावा भी भारत(India) की तीन कंपनियां जायडस(Zydus), भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई(Biological E) भी अपने-अपने टीके पर काम कर रही हैं। ये टीके पहले व दूसरे चरण के परीक्षण में हैं।

नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों को सुन-सुनकर अब आप भी ऊब चुके हैं, और आपको भी अगर कोरोना के वैक्सीन का इंतजार है तो ये खबर आपके लिए हैं। बता दें कि कोरोनावायरस की वजह से देशभर में भयावह माहौल के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। खबर ये है कि भारतीय बाजार में 2021 की शुरुआत में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जाने की उम्मीद बढ़ रही है।

russia corona vaccine

दरअसल यह दावा बर्नस्टीन ने एक रिपोर्ट में कहा है। वैश्विक स्तर पर चार संभावित टीके हैं, जिन्हें 2020 के अंत तक या 2021 की शुरुआत में स्वीकृति मिल जाने के अनुमान हैं। इनमें से दो टीके ‘एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर टीका और नोवावैक्स का प्रोटीन सबयूनिट टीका’ के लिए भारत (Coronavirus Vaccine) ने भागीदारी की हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘इन दोनों टीकों के लिए सुरक्षा व प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ाने में पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भरोसेमंद लगते हैं। हम इस बारे में आशावादी हैं कि भारत में 2021 की पहली तिमाही में बाजार में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जाएगा।’ कहा गया है कि टीके की कीमत प्रति खुराक तीन से छह डॉलर (225 से 550 रुपये) हो सकती है और क्रियान्वयन की दिक्कतों के कारण सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित होने में दो साल लग सकते हैं। इसका कारण व्यापक स्तर पर टीकाकरण के मामले में कम अनुभव होना है।

रिपोर्ट के अनुसार, बड़े स्तर पर टीकाकरण के दो अनुभव हैं। एक 2011 का पोलिया उन्मूलन अभियान और दूसरा हालिया सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई), लेकिन इनका स्तर कोविड-19 के लिए अपेक्षित स्तर का एक तिहाई भर था। वैसे टीके के निर्माण के बाद भी कई चुनौतियां हैं जिससे निपटना जरूरी है। बर्नस्टीन ने कहा कि शीत भंडार गृहों की श्रृंखला तथा कुशल श्रम की कमी दो बड़ी चुनौतियां होने वाली हैं। यदि यह भी मानकर चलें कि क्रियान्वयन की गति पहले की तुलना में दो गुना होगी, तब भी सरकारी कार्यक्रम के अमल में आने में 18 से 20 महीने लगेंगे।

रिपोर्ट का मानना है कि, नोवावैक्स का टीका एजेड व ऑक्सफोर्ड वाले की तुलना में अच्छा परिणाम दे रहा है, इसलिए इससे उम्मीदें अधिक है। दोनों ने पहले दो चरणों में अच्छे परिणाम दिये हैं और अब तीसरे चरण में है। इनके लिए एक व्यक्ति को 21 से 28 दिन के अंतराल में दो खुराक देने की जरूरत होगी।

उसने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले टीके को पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सीरम इंस्टीट्यूट ने एजेड व ऑक्सफोर्ड तथा नोवावैक्स दोनों के साथ उनके संभावित टीके के उत्पादन का करार किया हुआ है। उसके पास प्रोटीन सब यूनिट और वायरल वेक्टर दोनों तरह के टीके के उत्पादन की क्षमता है। जरूरत पड़ने पर दोनों की प्रकार की क्षमताओं को बदलकर किसी एक को और बढ़ाया जा सकता है। अत: हमें विनिर्माण के मोर्चे पर कोई अवरोध नहीं दिखाई देता है।

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फिलहाल इसके अलावा भी भारत की तीन कंपनियां जायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई भी अपने-अपने टीके पर काम कर रही हैं। ये टीके पहले व दूसरे चरण के परीक्षण में हैं। बर्नस्टीन ने अनुमान व्यक्त किया है कि भारत का टीका बाजार वित्त वर्ष 2021-22 में छह अरब डॉलर का हो सकता है।