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Hathras Case: हाथरस मामले में पीड़िता परिवार की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया खारिज, जानें पूरा मामला

Hathras Case: हाथरस मामले(Hathras Case) में पीड़‍िता के पिता ओम प्रकाश(Om Prakash) और 6 अन्य ने याचिका दायर की थी, जिसपर न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है।

नई दिल्ली। हाथरस में हुए गैंगरेप मामले में पीड़िता के परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है। कोर्ट के आदेश पर याचियों को सुरक्षा दी गयी है। ऐसे में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। हाथरस मामले में पीड़‍िता के पिता ओम प्रकाश और 6 अन्य ने याचिका दायक की थी, जिसपर न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि, वाट्सएप संदेश के जरिये पीड़िता के परिवार ने महमूद प्राचा व अन्य को वकील बनाया है। वहीं इस याचिका पर आपत्ति जताते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका विचाराधीन है। कोर्ट के आदेश पर पीड़िता के परिवार व गवाहों को सुरक्षा दी गयी है।

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उन्होंने कहा कि, परिवार ने किसी को भी वकालतनामे देकर याचिका दाखिल करने के लिए अधिकृत नहीं किया है। मनीष गोयल ने कहा कि किसे कौन नियुक्त करना चाहता है, यह साफ नहीं है। मनीष गोयल ने आगे कोर्ट को बताया कि परिवार को पर्सनल गार्ड दिये गये हैं। घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, ताकि कोई असामाजिक तत्व घर में न घुस सके। याचियों ने प्रशासन से कभी नहीं कहा वे बाहर जाना चाहते हैं। किसी को रोका नहीं गया है। वे स्वतंत्र हैं। अनपढ़ गरीब परिवार वालों को पता ही नहीं है कि संस्थाए व राजनीतिक दल उनका इस्तेमाल कर रहे हैं।

दरअसल याचियों के वकीलों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने परिवार के लोगों को कैद कर रखा है। कोई उनसे मिलने आता है तो उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उनका मोबाइल फोन भी छीन लिया गया है। हाथरस जिले को ब्‍लॉक कर दिया गया है। लोगों को पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जा रहा है।

Hathras Police

इस मामले में कोर्ट ने वकीलों से जानना चाहा कि याची क्या दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर जवाब दाखिल करने जाना चाहते हैं तो कोई जवाब नहीं मिला। हाईकोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।