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Bhojshala: ‘धार का भोजशाला सरस्वती मंदिर था’, पुरातत्वविद केके मोहम्मद का दावा

Bhojshala: भोजशाला के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि इसे राजा भोज के जमाने में बनाया गया था। यहां के बारे में हिंदू पक्ष का ये भी दावा है कि भोजशाला में देवी सरस्वती की जो प्रतिमा थी, उसे अंग्रेज अपने साथ ले गए और लंदन के म्यूजियम में उसे रख दिया। वहीं, मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद कहते हैं।

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला हिंदू मंदिर है या इस्लामी धार्मिक स्थल? इस विवाद को सुलझाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर भोजशाला का आजकल एएसआई सर्वे हो रहा है। बीते 3 दिन से एएसआई के पुरातत्वविद भोजशाला का सर्वे कर रहे हैं। इस सर्वे के बीच नामचीन पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने कहा है कि धार जिले में जिस भोजशाला को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में विवाद है, वो देवी सरस्वती का मंदिर था।

केके मोहम्मद ने कहा है कि इस मंदिर को बाद में इस्लामी धर्मस्थल में बदला गया। बता दें कि भोजशाला को मुस्लिम कमाल मौला मस्जिद बताते हैं। पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष को इस मामले में कोर्ट के फैसले को मानना चाहिए और ऐसी विवादित जगहों पर अपने मतभेद दूर करने के लिए बातचीत भी करनी चाहिए। उन्होंने 1991 में बने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का भी पालन करने की सलाह दी। एबीपी न्यूज के मुताबिक केके मोहम्मद ने मुस्लिमों को सलाह दी कि वे काशी और मथुरा के मसलों पर हिंदुओं की भावना का सम्मान करें। पुरातत्वविद ने कहा कि भोजशाला के बारे में ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर था।

केके मोहम्मद ने कहा कि बाद में भोजशाला को मस्जिद में बदला गया। उन्होंने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के अनुसार धार्मिक स्थल का आधार वर्ष 1947 है। अगर ये 1947 में मंदिर था, तो मंदिर और अगर मस्जिद थी, तो मस्जिद है। भोजशाला के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि इसे राजा भोज के जमाने में बनाया गया था। यहां के बारे में हिंदू पक्ष का ये भी दावा है कि भोजशाला में देवी सरस्वती की जो प्रतिमा थी, उसे अंग्रेज अपने साथ ले गए और लंदन के म्यूजियम में उसे रख दिया। केके मोहम्मद ने बाबरी ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर होने की बात भी कही थी। वो एएसआई में काम करते थे।