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New Record: 1900 किलोमीटर और 30 घंटे, भारतीय वायुसेना के इस दमखम को जानकर आपका सीना हो जाएगा चौड़ा

दुनिया में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारत के अलावा 18 और देशों की वायुसेना भी इस्तेमाल करती है। साल 2018 में अमेरिका ने भारतीय वायुसेना के पायलटों और इंजीनियरों को चिनूक की ट्रेनिंग दी थी। लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के दौरान भी चिनूक से सैन्य साजोसामान पहुंचाया गया था।

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने एक और रिकॉर्ड कायम कर दिया है। वायुसेना ने दुनिया को दिखा दिया है कि अगर वो चाह ले, तो असंभव माने जाने वाले काम को भी कर सकती है। भारतीय वायुसेना ने ये रिकॉर्ड चिनूक हेलीकॉप्टर की सबसे लंबी उड़ान के मामले में किया है। वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी और असम के जोरहाट में उतरा। ये उड़ान बिना रुके हुए। पूरा रास्ता 1910 किलोमीटर का था और पायलटों ने लगातार 30 घंटे चिनूक को उड़ाया। दुनिया में किसी और देश की वायुसेना ने ये कमाल अब तक करके नहीं दिखाया है।

chinook route map

भारत ने अमेरिका से भारी सामान उठाने वाले 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदे हैं। इन हेलीकॉप्टर के जरिए टैंक और अन्य भारी हथियार के अलावा जवानों को भी ले जाया जा सकता है। दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर को खरीदने के लिए भारत ने अमेरिका से साल 2015 में करार किया था। 2019 में पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पहुंचे थे। मल्टी मिशन को अंजाम दे सकने वाले इन हेलीकॉप्टरों को कई देशों की वायुसेना इस्तेमाल करती है। ये हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना में भी बड़ी तादाद में शामिल हैं। चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए ही अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान के एबटाबाद पहुंचे थे और अल-कायदा के आतंकी आका ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के बाद लौट आए थे।

ये हेलीकॉप्टर साल 1962 में पहली बार उड़ा था। चिनूक हेलीकॉप्टर करीब 10 टन वजन आराम से उठा सकता है। हेलीकॉप्टर को अमेरिका की बोइंग कंपनी बनाती है। बहुत ऊंचाई पर भी ये दुश्मन के इलाकों तक सैनिक और हथियार पहुंचाने में सक्षम है। दुनिया में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारत के अलावा 18 और देशों की वायुसेना भी इस्तेमाल करती है। साल 2018 में अमेरिका ने भारतीय वायुसेना के पायलटों और इंजीनियरों को चिनूक की ट्रेनिंग दी थी। लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के दौरान भी चिनूक से सैन्य साजोसामान पहुंचाया गया था। इस हेलीकॉप्टर की खास बात ये है कि ये रेगिस्तान की भीषण गर्मी से लेकर शून्य से नीचे के तापमान पर भी आसानी से काम करता है।