नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने एक और रिकॉर्ड कायम कर दिया है। वायुसेना ने दुनिया को दिखा दिया है कि अगर वो चाह ले, तो असंभव माने जाने वाले काम को भी कर सकती है। भारतीय वायुसेना ने ये रिकॉर्ड चिनूक हेलीकॉप्टर की सबसे लंबी उड़ान के मामले में किया है। वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने चंडीगढ़ से उड़ान भरी और असम के जोरहाट में उतरा। ये उड़ान बिना रुके हुए। पूरा रास्ता 1910 किलोमीटर का था और पायलटों ने लगातार 30 घंटे चिनूक को उड़ाया। दुनिया में किसी और देश की वायुसेना ने ये कमाल अब तक करके नहीं दिखाया है।
भारत ने अमेरिका से भारी सामान उठाने वाले 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदे हैं। इन हेलीकॉप्टर के जरिए टैंक और अन्य भारी हथियार के अलावा जवानों को भी ले जाया जा सकता है। दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर को खरीदने के लिए भारत ने अमेरिका से साल 2015 में करार किया था। 2019 में पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पहुंचे थे। मल्टी मिशन को अंजाम दे सकने वाले इन हेलीकॉप्टरों को कई देशों की वायुसेना इस्तेमाल करती है। ये हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना में भी बड़ी तादाद में शामिल हैं। चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए ही अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान के एबटाबाद पहुंचे थे और अल-कायदा के आतंकी आका ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के बाद लौट आए थे।
An @IAF_MCC Chinook undertook the longest non-stop helicopter sortie in India, flying from Chandigarh to Jorhat (Assam). The 1910 kms route was completed in 7 hrs 30 min and made possible by the capabilities of Chinook along with operational planning and execution by @IAF_MCC. pic.twitter.com/n2aSZ3tRp4
— PRO Defence Palam (@DefencePROPalam) April 11, 2022
ये हेलीकॉप्टर साल 1962 में पहली बार उड़ा था। चिनूक हेलीकॉप्टर करीब 10 टन वजन आराम से उठा सकता है। हेलीकॉप्टर को अमेरिका की बोइंग कंपनी बनाती है। बहुत ऊंचाई पर भी ये दुश्मन के इलाकों तक सैनिक और हथियार पहुंचाने में सक्षम है। दुनिया में चिनूक हेलीकॉप्टर को भारत के अलावा 18 और देशों की वायुसेना भी इस्तेमाल करती है। साल 2018 में अमेरिका ने भारतीय वायुसेना के पायलटों और इंजीनियरों को चिनूक की ट्रेनिंग दी थी। लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के दौरान भी चिनूक से सैन्य साजोसामान पहुंचाया गया था। इस हेलीकॉप्टर की खास बात ये है कि ये रेगिस्तान की भीषण गर्मी से लेकर शून्य से नीचे के तापमान पर भी आसानी से काम करता है।