newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

UP: रामचरितमानस का अपमान करने वालों पर बरसे CM योगी, तो कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम हुए मुख्यमंत्री के मुरीद

सीएम योगी ने कहा कि रामचरितमानस की रचना जिस कालखंड में हुई है, उस समय महिलाओं की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। सीएम योगी ने आगे कहा कि कुछ लोग सियासी हित के लिए रामचरिमानस की प्रतियां जलाकर 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं और यह सबकुछ सिर्फ और सिर्फ सियासी हित पाने के लिए किया जा रहा है।

नई दिल्ली। वैसे तो बजट भाषण में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्तलिफ मसलों का जिक्र कर समाजवादी पार्टी पर हमला बोला, लेकिन प्रमुख रूप से उनके हमले के केंद्र में रामचरितमानस का अपमान करने वाले नेता रहे। सीएम योगी ने दो टूक कहा कि कुछ लोग अपने सियासी हित के लिए अब रामचरितमानस जैसे ग्रंथों का अपमान करने पर उतारू हो चुके हैं। ये लोग चौपाइयों की गलत परिकल्पना करके उसकी त्रुटिपूर्ण व्यख्या करके समाज के लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ने मानस में लिखे एक श्लोक का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि ‘अवधी में ताड़ने का सही अर्थ देखना होता है, लेकिन आज सब अपने हिसाब से ग्रंथों की व्याख्या कर रहे हैं।

सीएम योगी ने कहा कि रामचरितमानस की रचना जिस कालखंड में हुई है, उस समय महिलाओं की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। सीएम योगी ने आगे कहा कि कुछ लोग सियासी हित के लिए रामचरितमानस की प्रतियां जलाकर 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं और यह सबकुछ सिर्फ और सिर्फ सियासी हित पाने के लिए किया जा रहा है। यही नहीं, सीएम योगी ने इस दौरान हिंदू धर्म ग्रंथों का अपमान करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की भी बात कही है। जिसकी सराहना अब कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी की है। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।

दरअसल, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट कर कहा कि राजनैतिक “विरोध” अपनी जगह हैं लेकिन “सत्ता” के लिये “श्रद्धा” से समझौता नहीं किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की विधान सभा में आज श्री रामचरितमानस का पक्ष रखने और रामायण का अपमान करने वाले नेताओं की “ठुकाई” करने के लिये मैं सीएम योगी की “सराहना” करता हूं। बता दें कि अभी उनका यह ट्वीट खासा तेजी से वायरल हो रहा है, जिस पर लोग अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं। अब ऐस में बतौर पाठक आपका इस पूरे मसले पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा। लेकिन, उससे पहले आपको बता दें कि रामचरितमानस को लेकर सबसे पहले विवाद की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने की थी। उन्होंने मानस में लिखे श्लोकों को समाज के लिए विभाजनकारी बताया था।

इसके बाद यह पूरा विवाद उत्तर प्रदेश पहुंचा। जहां सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार से रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाने की बात कह दी और इस पुस्तक को बकवास भी कह डाला। उनके इस बयान के बाद बीजेपी सपा पर हमलावर हो गई, लेकिन सपा की तरफ से अपने नेता पर कोई भी आलोचनात्मक टिप्पणी नहीं आई थी। जिसका बीजेपी ने प्रतिरोध भी किया था।  जिसे लेकर बीते दिनों मुख्तलिफ दलों के बीज राजनीतिक रार-प्रतिरार भी देखने को मिला था। बहरहाल , अब यह पूरा  माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम