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Politics: 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अभी से हताश, गुलाम नबी बोले- मुश्किल है डगर

उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना मुश्किल है। गुलाम नबी ने ये भी कहा कि विपक्ष को 300 सीटें भी शायद न मिलें और जब इतनी सीटें नहीं मिलेंगी, तो अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करना मुश्किल होगा।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद अनुच्छेद 370 और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर हताश हैं। गुलाम नबी कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना मुश्किल है। गुलाम नबी ने ये भी कहा कि विपक्ष को 300 सीटें भी शायद न मिलें और जब इतनी सीटें नहीं मिलेंगी, तो अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करना मुश्किल होगा। पुंछ में एक रैली में गुलाम नबी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार ही अनुच्छेद को वापस लाने का फैसला कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल ये असंभव दिखता है। गुलाम नबी ने बीते दिनों कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 से आगे बढ़कर जमीन संबंधी हक और राज्य वापसी की मांग करनी चाहिए। इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने गुलाम नबी पर निशाना साधा था। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अनुच्छेद 370 पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की विरासत थी। कांग्रेस अगर अपने विरासत को ही संभाल नहीं सकती, तो वो क्या कर सकती है।

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उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष और बड़े नेता फारुक अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती लगातार अनुच्छेद वापसी की मांग कर रहे हैं। दोनों नेताओं ने हाल के दिनों में फिर 370 की वापसी की मांग की थी। फारुक और महबूबा ने मिलकर गुपकार गठबंधन बनाया था। इस गठबंधन की मुख्य मांग ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए की वापसी है। उधर, राज्य में अब विस्थापित लौट रहे हैं। मोदी सरकार ने पिछले दिनों संसद में बताया कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से अब तक 1600 लोग घाटी में लौट चुके हैं। इनमें से कई को उनकी जमीन भी वापस दिलाई गई है।

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बता दें कि साल 2019 में चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने संसद में प्रस्ताव पेश कर अनुच्छेद 370 और 35-ए को रद्द कर दिया था। इसका संसद में भारी विरोधी हुआ था। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी इस कदम के खिलाफ खुलकर आए थे। पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने तो ये तक कहा था कि अनुच्छेद को खत्म करने पर जम्मू-कश्मीर में खून बहेगा, लेकिन मोदी सरकार ने सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था कर ऐसा नहीं होने दिया था। तबसे घाटी में हालात काफी सुधरे भी हैं। आतंकियों को रोज मारा जा रहा है और पथराव की घटनाओं में भी काफी कमी आई है।