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रामभक्तों से मंदिर निर्माण के लिए क्यों मांगी जा रही हैं तांबे की छड़ें?, ये है वजह

चंपत राय(Champat Rai) ने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर(Ram Mandir) 36 से 40 महीने में बनकर तैयार हो सकता है। मंदिर निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा।

नई दिल्ली। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। गुरुवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की दिल्ली में बैठक हुई। इस बैठक में ट्रस्ट ने जानकारी दी कि मंदिर निर्माण में 10 हजार तांबे की छड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा। ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता चंपत राय ने कहा कि जो लोग मंदिर निर्माण में मदद करना चाहते हैं तो वह तांबा दान कर सकते हैं।

ram mandir New model picture

तांबा दान के लिए क्यों कहा जा रहा है

अब सवाल उठता है कि आखिर लोगों से तांबा दान के लिए क्यों कहा जा रहा है। तो इसका जवाब है कि निर्माण के दौरान तांबा जंग लगने से बिल्कुल अलग एक परत बनाता है, जो कि निर्माण को हजारों सालों तक टिकाए रखता है। इसी तरह की परत स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (न्यूयॉर्क) पर भी देखी जा सकती है। चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 36 से 40 महीने में बनकर तैयार हो सकता है। मंदिर निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा।

VHP Champay Rai

लर्सन एंड टूब्रो कंपनी की तकनीकी सहायता

उन्होंने बताया कि लर्सन एंड टूब्रो कंपनी, आईआईटी के इंजीनियरों की तकनीकी सहायता भी निर्माण कार्य में ली जा रही है। मंदिर स्थल से मिले अवशेषों के श्रद्धालु दर्शन कर सके, ऐसी व्यवस्था भी की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे हिंदुस्तान का खजाना बता चुके हैं। मंदिर निर्माण को लेकर उन्होंने जानकारी दी कि, मिट्टी की ताकत नापने के लिए कंपनी ने आईआईटी चेन्नई की सलाह ली है। 60 मीटर गहराई तक की मिट्टी की जांच हुई। भूकंप आएगा तो यहां की जमीन की मिट्टी उन तरंगों को कितना झेल पाएगी, इन सब की जांच हुई है।

राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़

उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा। राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा। मंदिर निर्माण में 10,000 तांबे की पत्तियां और रॉड भी चाहिए। इसके लिए दानियों को आगे आने की जरूरत है।

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तांबे की विशेषता

वहीं तांबे के गुणों की बात करें तो मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में सबसे पहले प्रयोग होने वाली धातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। निर्माण के दौरान तांबा सामान्यतः पानी से अभिक्रिया नहीं करता है पर धीरे-धीरे संयोग कर ऑक्साईड बनाता है। लेकिन लोहे में जंग लगने से बिल्कुल अलग इसका ऑक्साईड धातु के ऊपर एक परत बनाता है जो इसके और ऑक्सीकरण को रोकता है। जिसके चलते निर्माण हजारों साल तक टिका रहता है। यह परत स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी (न्यूयॉर्क) पर भी देखी जा सकती है।