newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

दिल्ली के दयानंद श्मशान घाट पर फेंके गए पीपीई किट के लगे हैं ढेर

कोविड गाइडलाइंस व बायोमेडिकल वेस्ट के लिए बने नियमों के तहत कूड़े का निस्तारण किया जाना होता है। इसके लिए लाल, काले, पीले और सफेद रंग के डस्टबिन रखे जाते हैं।

नई दिल्ली। दिल्ली के दयानंद मुक्तिधाम श्मशान घाट पर रोजाना 20 से 25 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। कोविड-19 से मरने वालों के शव भी यहां लाए जाते हैं। इस्तेमाल के बाद फेंके गए पीपीई किट का यहां अंबार लग गया है, मगर किसी को इसकी परवाह नहीं है। दयानंद मुक्तिधाम श्मशान घाट के इंचार्ज रमेश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि 50 से ज्यादा ट्रक कूड़ा हम उठवा चुके हैं। हमसे बोला जाता है कि कूड़ा उठवाना है तो पैसे देने पड़ेंगे।

PPE Kit
उन्होंने कहा, “लॉकडाउन में कूड़ा उठाने के लिए गाड़ियां यहां नहीं आईं। आप पता कर लीजिए। हमने सब जगह शिकायत की हुई है। हमने कूड़ा अपने पैसों से उठवाए हैं। उसका बिल भी हमारे पास है। आप हमें दो दिन का समय दे दो, दो दिन बाद जो पूछोगे, बता दूंगा।” इस शमशान घाट में एक बार में 10 कोविड और 10 गैर-कोविड शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है।

कूड़े के ढेर का जिक्र करने पर दक्षिणी नगर निगम के पीआरओ राधा कृष्णा ने ईएएनएस से कहा, “हमारी तरफ से रोजाना सफाई होती है। इसमें कोई शक नहीं है और न ही इसमें कोई लापरवाही हुई है।”

PPE Kit
इस शमशान घाट पर सेवा दे रहे कार्यकर्ता रामपाल मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, “हम यहां पीपीई किट फेंकने से मना करते हैं, । लेकिन जो लोग अस्पताल से यहां कोविड बॉडी के साथ आते हैं, वे मना करने पर भी पीपीई किट उतारकर यहां फेंक जाते हैं। यहां जो लड़के कोविड शवों का अंतिम संस्कार करते हैं, वे भी किट पहनते हैं, लेकिन फेंकने के बाद सफाई भी करा देते हैं।”

corona
कोविड गाइडलाइंस व बायोमेडिकल वेस्ट के लिए बने नियमों के तहत कूड़े का निस्तारण किया जाना होता है। इसके लिए लाल, काले, पीले और सफेद रंग के डस्टबिन रखे जाते हैं। पीपीई किट को इस्तेमाल करने के बाद हाइपोक्लोराइट के घोल में डुबाने के बाद इसे बैग में पैक किया जाना होता है। जो भी कचरा निकलता है, उसे पीले बैग में इकट्ठा करके बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में भेजना होता है।