नई दिल्ली। भाजपा नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण को लेकर मामला दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर अब खुद ही घिर गए हैं। मंदर का विवादित वीडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए उनसे सफाई मांगी है।
दरअसल, भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को एक विडियो ट्वीट किया था, जिसमें हर्ष मंदर कथित तौर पर कहते दिख रहे हैं कि अब फैसला संसद या सुप्रीम कोर्ट में नहीं, सड़कों पर होगा। मंदर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में इंसानियत और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा नहीं की, इसलिए लोग अब सड़कों पर अपने भविष्य का फैसला करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उनके इसी बयान को लेकर मंदर से सफाई मांगी है।
Imagine that THIS man is in HC to get FIRs done against people for hate speech.
THIS MAN – who says neither Parliament Nor Supreme Court will decide on CAA but we will decide on streets.
This man was given midnight hearing by a judge. Imagine.
— Akhilesh Mishra (@amishra77) March 3, 2020
मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने कहा, “अगर आप अदालत के बारे में यही महसूस करते हैं तो हम आपको नोटिस जारी करते हैं।”
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने हर्ष मंदर के उस वीडियो के बारे में पूछा, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर शीर्ष अदालत और संसद की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे।
प्रधान न्यायाधीश ने मंदर के वकील करुणा नंदी से कहा, “अगर आप सुप्रीम कोर्ट के बारे में ऐसा महसूस करते हैं तो हमें तय करना होगा कि आपके साथ क्या करना है।”
नंदी ने कहा, “उन्होंने (मंदर ने) यह कभी नहीं कहा। मुझे कोई प्रति नहीं दी गई।”
बोबडे ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आरोपों का जवाब तैयार करने के लिए मंदर को ट्रांसक्रिप्शन और दस्तावेज देने को कहा।
शीर्ष अदालत ने भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मुद्दे पर भी केंद्र से पूछा। खासकर तब, जब माहौल एफआईआर दर्ज करने के लिए अनुकूल है।
मेहता ने कहा कि इसे कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर छोड़ दिया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें कई कारक शामिल हैं।