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Delhi Ordinance Bill: मामला अगर SC में लंबित है, तो..’, दिल्ली अध्यादेश पर बोले पूर्व CJI रंजन गोगोई

Delhi Ordinance Bill: पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगई ने बिल का समर्थन किया । उन्होंने कहा कि मेरे लिए तो यह बिल सही है। अब आपके लिए यह बिल कैसा है। मैं समझता हूं कि इस पर आपका निजी मत हो सकता है। इससे मुझे कोई लेना देना नहीं है।

नई दिल्ली। लोकसभा से पारित होने के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली लोक सेवा बिल को राज्यसभा में पेश किया। जिस पर अभी चर्चा हो रही है। बीजेपी की ओर से जहां इस बिल के समर्थन में दलीलें पेश की जा रही हैं, तो वहीं कांग्रेस इसे संविधान के खिलाफ बता रही है। वहीं, अब इस बीच यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि अगर यह बिल राज्यसभा से पारित हुआ, तो क्या सीएम केजरीवाल इंडिया गठबंधन से जुदा हो जाएंगे? दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि बीते दिनों पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस ने जब बिल को लेकर आप का समर्थन करने से गुरेज किया था, तो सीएम केजरीवाल ने स्पष्ट कह दिया था कि जब तक कांग्रेस की ओर से समर्थन नहीं मिलेगा, तब तक हम विपक्ष के किसी भी बैठक में शिरकत नहीं करेंगे, तो ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम केजरीवाल ने महज इस बिल को पारित करवाने के मकसद से ही इंडिया गठबंधन का सहारा लिया है। बहरहाल, आगामी दिनों में वो क्या कुछ कदम उठाते हैं? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले दिल्ली लोकसभा बिल पर पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने बड़ा बयान दिया है। आइए आगे आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है?

दरअसल, पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए तो यह बिल सही है। अब आपके लिए यह बिल कैसा है। मैं समझता हूं कि इस पर आपका निजी मत हो सकता है। इससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि यह कहना गलत होगा कि यह मामला कोर्ट में लंबित है, तो इस पर सदन में बिल पेश नहीं होग, मुझे लगता है कि यह कहना गलत होगा। यह बिल पूरी तरह से वैध है। गोगोई ने कहा कि अध्यादेश आज जिस स्थिति में है। उसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अतिक्रमण नहीं कहा जा सकता है। सदन के पास दिल्ली के संदर्भ में कानून बनाने का अधिकार है।

बता दें कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति से संबंधित फैसले लेने का संपूर्ण अधिकार दिया था, जिसे सीएम केजरीवाल ने अपनी जीत बताया था, लेकिन इस फैसले के हफ्तेभर बाद ही केंद्र ने दिल्ली लोक सेवा बिल लाकर दिल्ली सरकार को मिली शक्तियों को कम करने का काम किया था। उधर, केजरीवाल सरकार ने केंद्र के इस कदम को असंवैधानिक बताया था। वहीं, अब सीएम केजरीवाल इस बिल को कानून बनने से रोकने की कोशिश मे जुट चुके हैं, लेकिन उनकी यह कोशिश सफल होती हुई नजर नहीं आ रही है, चूंकि बीते दिनों जहां गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बिल को लोकसभा से पारित करवा चुके हैं। वहीं, आज इसे राज्यसभा में पेश किया गया है। अब ऐसे में इस बिल के लिए आगे की राह कैसी रहती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।