बेंगलुरु। सूरज की तरफ भेजे गए आदित्य एल-1 यान को इसरो के वैज्ञानिकों ने धरती के चारों तरफ नए ऑर्बिट में भेज दिया है। आदित्य एल-1 का धरती के चारों तरफ ये दूसरा ऑर्बिट है। इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। इसरो ने बताया है कि आदित्य एल-1 यान का दूसरा अर्थ बाउंड मैन्यूवर सफलता से हासिल किया गया। इसरो के टेलीमेट्री कमांड नेटवर्क ने आदित्य एल-1 में लगे रॉकेट थ्रस्टर्स को कुछ देर जलाकर उसे नए ऑर्बिट में भेजा। इस दौरान बेंगलुरु, पोर्ट ब्लेयर और मॉरीशस में लगे एंटीना से आदित्य एल-1 पर लगातार नजर रखी गई। इसरो के मुताबिक यान बिल्कुल ठीक है और इसके यंत्र भी ठीक काम कर रहे हैं।
Aditya-L1 Mission:
The second Earth-bound maneuvre (EBN#2) is performed successfully from ISTRAC, Bengaluru.ISTRAC/ISRO’s ground stations at Mauritius, Bengaluru and Port Blair tracked the satellite during this operation.
The new orbit attained is 282 km x 40225 km.
The next… pic.twitter.com/GFdqlbNmWg
— ISRO (@isro) September 4, 2023
आदित्य एल-1 को जब पीएसएलवी रॉकेट से धरती की कक्षा में भेजा गया था, तब 3 सितंबर को वो धरती के चारों तरफ 245 किलोमीटर गुणा 22459 किलोमीटर के ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा था। मंगलवार तड़के 2.45 पर इसरो के कमांड सेंटर से आदित्य एल-1 को रॉकेट थ्रस्टर्स चालू करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद आदित्य एल-1 282 किलोमीटर गुणा 40225 किलोमीटर के ऑर्बिट में पहुंच गया। इसका मतलब ये है कि ये धरती का चक्कर लगाते वक्त उससे सबसे करीबी बिंदु 282 किलोमीटर पर होगा। वहीं, धरती से उसकी अधिकतम दूरी अब 40225 किलोमीटर की होगी। अब 10 सितंबर को इसरो के वैज्ञानिक आदित्य एल-1 को फिर नए ऑर्बिट में भेजेंगे।
धरती के चारों तरफ आदित्य एल-1 को 16 दिन तक चक्कर लगाना है। इस दौरान इसरो के वैज्ञानिक उसका ऑर्बिट लगातार बढ़ाते रहेंगे। जिसके बाद आदित्य एल-1 को सूरज की तरफ भेजा जाएगा। आदित्य एल-1 यान को कुल 125 दिन की यात्रा के बाद 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 पर पहुंचना है। ये ऐसा बिंदु है, जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल मिलते हैं। इसी वजह से कोई भी यान यहां लंबे समय तक टिका रहता है। धरती और सूरज के बीच 5 लैग्रेंजियन प्वॉइंट हैं। इनमें से एल-1 और एल-2 तक यान भेजना आसान है। अन्य लैग्रेंजियन प्वॉइंट तक किसी भी देश ने अब तक यान नहीं भेजा है।