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Kerala: सीपीएम कार्यकर्ता की हत्या में RSS के 13 कार्यकर्ताओं को केरल हाईकोर्ट ने किया बरी, कहा- पुलिस ने जानबूझकर फंसाया

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में साफ लग रहा है कि विष्णु की हत्या की जांच के दौरान ही पुलिस ने आधी अधूरी सच्चाई और अपने पसंद के गवाह तैयार करने शुरू कर दिए थे। पुलिस पर कोर्ट ने कहा कि साफ लग रहा है कि वो हत्या की जांच को एक खास दिशा में मोड़ने की कोशिश में भी शुरू से जुटी थी।

कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने साल 2008 में सीपीएम के कार्यकर्ता विष्णु की हत्या के मामले में निचली अदालत से दोषी ठहराए गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के 13 कार्यकर्ताओं को बरी कर दिया है। सेशन कोर्ट ने इन सभी को दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने सभी को बरी करते हुए कहा कि एक भी संघ कार्यकर्ता के खिलाफ सबूत नहीं मिला। तिरुवनंतपुरम सेशन कोर्ट ने 11 आरोपियों को इस मामले में दोहरी उम्रकैद, 1 को उम्रकैद और 1 को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी। जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने साफ कह दिया कि अभियोजन पक्ष ऐसा एक भी सबूत पेश नहीं कर सका, जिससे इन सभी के हत्या में शामिल होने का आरोप साबित किया जा सके।

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हाईकोर्ट ने इसके अलावा केरल पुलिस पर गंभीर आरोप भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने गवाहों को सिखाया कि क्या बयान देना है। साथ ही पूरे मामले में कहानी गढ़ ली। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में साफ लग रहा है कि विष्णु की हत्या की जांच के दौरान ही पुलिस ने आधी अधूरी सच्चाई और अपने पसंद के गवाह तैयार करने शुरू कर दिए थे। पुलिस पर कोर्ट ने कहा कि साफ लग रहा है कि वो हत्या की जांच को एक खास दिशा में मोड़ने की कोशिश में भी शुरू से जुटी थी। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मीडिया में चेहरा ढंके हुए लोगों की ओर से हमला करने की बात कही गई। जांच अधिकारियों ने कोर्ट के सामने इन रिपोर्ट पर चुप्पी साधे रखी। साथ ही थाने की जीडी में की गई एंट्री से भी पुलिस पर पुख्ता शक होता है कि उसने मामले को एक खास दिशा में घुमाया।

हाईकोर्ट ने कहा कि ये हत्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से हुई, लेकिन अभियोजन पक्ष और जांच एजेंसी (पुलिस) ने खास गवाहों को मामले में शामिल किया। ये गवाह घटना के हर पहलू की ऐसे जानकारी देते रहे, जैसे उन्होंने हर एक मिनट क्या हुआ, ये देखा हो। कुल मिलाकर कोर्ट को संतुष्ट करने में अभियोजन पक्ष विफल रहा और गवाह भी इसमें नाकाम रहे।