नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को मोदी सरकार ने दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग संबंधी बिल पास करा लिया। राज्यसभा में कुल 238 वोट पड़े। इनमें से सरकार के बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 सांसदों ने वोट डाला। इस वोटिंग ने ये भी साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने का दावा कर रहा विपक्ष खुद ही एकजुट नहीं है। राज्यसभा में जब दिल्ली संबंधी बिल पर वोटिंग हुई, तो विपक्ष के तमाम चेहरे राज्यसभा में नहीं दिखे। विपक्ष की तरफ से 5 सांसदों ने राज्यसभा में हुई वोटिंग में अलग-अलग वजहों से हिस्सा नहीं लिया।
राज्यसभा से जो विपक्षी सांसद गैरमौजूद रहे, उनमें सपा के समर्थन से सदस्य बने कपिल सिब्बल, जेडीएस के सांसद और पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी थे। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह निलंबित होने के कारण वोट नहीं डाल सके। जबकि, जेडीयू के राज्यसभा सदस्य और उप सभापति हरिवंश आसन पर थे और उन्होंने इस वजह से वोट नहीं दिया। जबकि, जेडीयू ने अपने राज्यसभा सांसदों को वोट डालने के लिए व्हिप जारी किया था। इसी से साफ हो जाता है कि मोदी सरकार ने विपक्ष को पटकनी देने के लिए कितना जबरदस्त फ्लोर मैनेजमेंट किया था।
आरएलडी के चीफ जयंत चौधरी को लेकर खास तौर पर चर्चा हो रही है। इसकी वजह ये है कि पटना में जब विपक्षी दलों की बैठक हुई थी, तो जयंत चौधरी ने जरूरी काम बताकर उसमें हिस्सा नहीं लिया था। इसके बाद जयंत चौधरी बेंगलुरु में हुई विपक्षी गठबंधन की बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन राज्यसभा में जब दिल्ली संबंधी बिल पर चर्चा और वोटिंग हुई, तो जयंत फिर नदारद हो गए। आरएलडी के कुछ सूत्रों के मुताबिक जयंत चौधरी को जरूरी काम था। इस वजह से वो राज्यसभा में वोट नहीं डाल सके। वहीं, ये चर्चा भी हो रही है कि बिल पर चर्चा के दौरान पूरे वक्त सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तो आसन पर रहे, लेकिन वोटिंग के दौरान जेडीयू के हरिवंश ने आसन संभाल लिया और बिल के खिलाफ वोट डालने का पार्टी के व्हिप को मानना उनके लिए जरूरी नहीं रह गया।