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Triple Talaq: तलाक-ए-हसन के खिलाफ मुस्लिम महिला ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, इस कुप्रथा को खत्म करने की मांग की

Triple Talaq:तलाक-ए-हसन यानी की, जिसमें तीन बार तलाक कह दिया जाता है, लेकिन ये तीन बार तलाक, तलाक, तलाक…एक साथ न होकर तीन महीनों के दौरान कहा जाता है। पहले महीने तलाक कहने के बाद ही पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं बन सकते, मगर पहला महीना खत्म होने से पहले अगर दोनों में समझौता हो जाता है और संबंध बन जाते हैं, तो तलाक रद्द मान लिया जाता है।

नई दिल्ली। अगर आपकी याददाश्त तनिक भी दुरूस्त होगी और आप समसामयिक मसलों के प्रति संवेदनशील रहते हों, तो फिर आपको आज से कुछ साल पहले तीन तलाक को लेकर छिड़ी बहस के बारे में तो पता ही होगा कि कैसे इस पूरे मसले को लेकर सत्ता के गलियारों में संग्राम हुआ था। जहां एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक की कुप्रथा को निरस्त करने की पुरजोर कोशिश कर रही थी, तो वहीं चुनिंदा तथाकथित मुस्लिम प्रबद्ध जमात के नुमाइंदे मोदी सरकार के अंकुरित होते पहल को कुचलने का भरसक प्रयास कर रहे थे, लेकिन अफसोस मुस्लिम महिलाओं ने खुद सार्वजनिक मंच पर आकर ऐसे लोगों की मुखालफत की थी और केंद्र सरकार के उपरोक्त पहल का साथ दिया था। परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने तीन तलाक के विरुद्ध कानून बनाकर इसका अनुपालन करने वालों को दंडित करने का प्रावधान किया। विदित है कि तीन तलाक के विरुद्ध विधि बनने के उपरांत कई ऐसे मामले सामने आए थे, जब  मुस्लिम पति ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दिया था, जिसके बाद उन्हें दंडित किया गया है, लेकिन क्या आपको पता है कि उस वक्त केंद्र सरकार ने महज तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन बार तलाक कहने पर ही रोक लगाई थी। अब आप कहेंगे कि तलाक-ए-बिद्दत क्या है। तो आपको बतातें चलें कि तलाक-ए-बिद्दत के तहत एक साथ तीन बार तलाक देने को कहते हैं, जिस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

Unfair Discrimination Against Muslim Husbands': New Plea In SC Challenges  The Validity Of Triple Talaq Law [Read Petition]

लेकिन, तलाक-ए-हसन यानी की, जिसमें तीन बार तलाक कह दिया जाता है, लेकिन ये तीन बार तलाक, तलाक, तलाक…एक साथ न होकर तीन महीनों के दौरान कहा जाता है। पहले महीने तलाक कहने के बाद ही पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं बन सकते, मगर पहला महीना खत्म होने से पहले अगर दोनों में समझौता हो जाता है और संबंध बन जाते हैं, तो तलाक रद्द मान लिया जाता है। वहीं, यदि संबंध नहीं बनते और पति दूसरे व तीसरे महीने में भी तलाक बोल देता है, तो तलाक हो जाता है। यह फिलहाल कानून के तहत अवैध नहीं है।  वहीं, अब दिल्ली हाईकोर्ट में इसके विरोध में भी याचिका दाखिल की गई है। उधर, इसके दूसरे प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है।

UP: Woman burnt alive by husband, in-laws for triple talaq plaint; oppn  slams Yogi govt - The Statesman

बता दें कि इस मामले में उपरोक्त याचिका गाज़ियाबाद की बेनज़ीर हिना ने दायर की है। उन्होंने इस कोर्ट से रोक लगाने की मांग की है ।उन्होंने कहा कि तलाक देने की यह रवायत सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को ही तलाक देने का एकतरफा अधिकार प्रदान करता है। फिलहाल, कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है, लेकिन कोर्ट की तरफ से इस मामले में सुनवाई शुरू नहीं हुई है। अब ऐसी स्थिति में कोर्ट की तरफ से क्या कुछ फैसला लिया जाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। क्या आगमी दिनों में इस पर रोक लगाई जाती है। क्या आगामी दिनों में इसे लेकर भी मुस्लिम महिलाओं  के बीच अंकुरित होता विरोध पल्लवित होगा। फिलवक्त तो उपरोक्त सभी प्रश्न भविष्य के गर्भ में छुपे हुए हैं। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के  लिए पढ़ते रहिए… न्यूम रूम पोस्ट.कॉम